फर्जी और मृत फार्मासिस्टों पर कार्रवाई, 3400 का नाम फार्मेसी काउंसिल के रजिस्टर से हटेगा
बिहार राज्य फार्मेसी काउंसिल के नवगठित परिषद ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है.
संवाददाता, पटना बिहार राज्य फार्मेसी काउंसिल के नवगठित परिषद ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. अब काउंसिल में फर्जी तरीके से रजिस्टर्ड फार्मासिस्टों का नाम काउंसिल के रजिस्टर से हटाया जायेगा. पिछले शनिवार को काउंसिल की परिषद में इस आशय का निर्णय लिया गया. यह माना जा रहा है कि काउंसिल से करीब 3400 से अधिक फर्जी लोगों का नाम रजिस्टर से हटा दिया जायेगा. काउंसिल के निबंधक सह सचिव रंजीत रंजन ने बताया कि संशय वाले निबंधनों को लेकर छह महीने पहले से ही विज्ञापन प्रकाशित कर दावा और आपत्ति मांगी गयी थी. इसके बावजूद, जनवरी से मार्च 2025 के बीच किसी भी फर्जी तरीके से निबंधन करानेवालों द्वारा एक भी दावा या आपत्ति दर्ज नहीं करायी गयी. उन्होंने बताया कि वर्ष 2025 के पहले चार महीनों में लगभग 6000 फार्मासिस्टों ने अपने मूल प्रमाण पत्रों की जांच करवा कर नवीनीकरण कराया है. नवीनीकरण की प्रक्रिया पूरे वर्ष चलती है. इस बार इसे और भी कठोर बनाया गया है. काउंसिल के कार्यकारिणी सदस्य अर्जेश श्रीवास्तव ने बताया कि फर्जी फार्मासिस्टों पर लगाम कसने के लिए इस बार फार्मासिस्टों की शारीरिक उपस्थिति अनिवार्य की गयी थी. साथ ही नवीनीकरण के समय मूल फार्मेसी डिग्री और आधार कार्ड का सत्यापन अनिवार्य किया गया. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस वर्ष किसी भी मृत या फर्जी फार्मासिस्ट का नवीनीकरण नहीं किया जायेगा. डा प्रकाश सिन्हा की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह भी तय किया गया कि पहली बार काउंसिल गठित होने के बाद रजिस्ट्रेशन कराने वाले ए-2000 श्रेणी के 543 फार्मासिस्ट , डाक्टर से कंपाउंडर अनुभव प्राप्त कर फार्मेसी में निबंधन करानेवाले 1902 और काउंसिल की ओर से जारी नये प्रावधान का लाभ उठाकर एक रिजस्ट्रेशन नंबर के अधीन कई रजिस्ट्रेशन कराने वाले बट्टा एवं पूर्णांक श्रेणी के 964, पश्चिम बंगाल से ट्रांसफर लेकर बिहार में रजिस्ट्रेशन कराने वाले और परमानेंट रिन्यूअल फ्री पेड जैसे निबंधनों को रद्द किया जायेगा.
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