CM नीतीश, लालू, मोदी पेंशनरों की सूची में

पटना : राज्य में जेपी आंदोलन में शामिल हुए और 21 मार्च 1974 से 1977 के बीच मीसा (मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट) तथा डीआइआर (डिफेंस ऑफ इंडिया रूल) कानून में जेल जाने वाले सेनानियों को पेंशन देने का प्रावधान है. राज्य के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में तकरीबन सभी बड़े नेता इस आंदोलन की ही […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 12, 2017 7:21 AM
पटना : राज्य में जेपी आंदोलन में शामिल हुए और 21 मार्च 1974 से 1977 के बीच मीसा (मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट) तथा डीआइआर (डिफेंस ऑफ इंडिया रूल) कानून में जेल जाने वाले सेनानियों को पेंशन देने का प्रावधान है. राज्य के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में तकरीबन सभी बड़े नेता इस आंदोलन की ही देन हैं.
मौजूदा समय में सीएम नीतीश कुमार, राजद प्रमुख लालू प्रसाद, वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सुशील कुमार मोदी, लोजपा प्रमुख सह केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान और पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी समेत अन्य सभी दिग्गजों के नाम जेपी आंदोलन के पेंशनरों की सूची में हैं. सीएम समेत अन्य सभी वीवीआइपी अपनी पेंशन कल्याणार्थ स्वरूप नहीं लेते. इन लोग ने अपनी पेंशन वैसे सेनानियों के नाम पर छोड़ रखा है, जिन्हें इसकी जरूरत है. अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि उन्हें यह सम्मान के तौर पर मिल रहा है इसलिए पेंशन की राशि ले रहे हैं.
तीन साल बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने इस पेंशन राशि को लेने की पहल
शुरू की है. इसके मद्देनजर ही उन्होंने अपना बैंक खाता समेत अन्य डिटेल को भरकर गृह विभाग में जमा किया है, जिससे पेंशन की राशि उनके बैंक खाते में सीधे जमा करायी जा सके. चुकी इनके नाम पर पहले से ही एडवाइजरी बोर्ड ने सहमति प्रदान कर दी है. ऐसे में इन्हें पेंशन के लिए आवेदन करने और इनके आवेदन की जांच समेत अन्य प्रक्रियाओं से गुजरने की जरूरत नहीं है.
बिहार में सभी जेपी सेनानियों को 1 जून 2009 से यह पेंशन मिल रहा है. ऐसी स्थिति में लालू प्रसाद के क्लेम करने पर इन्हें भी इसी दिनांक से 10 हजार रुपये प्रति माह की दर से जोड़ कर अब तक का पेंशन दी जायेगी. इसकी प्रक्रिया शुरू हो गयी है. वहीं, 3200 जेपी सेनानियों को राज्य सरकार प्रति महीने पेंशन देती है. जबकि, 400 लोग ऐसे हैं, जिन्होंने गृह विभाग में पेंशन पाने के लिए आवेदन कर रखा है.

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