Toppers Scam : शराब कारोबारी से पनाह लेकर छुपे थे लालकेश्वर व उषा सिन्हा
विजय सिंह पटना : पटना एसआइटी के कुख्यात बने बिहार बोर्ड के पूर्व चेयरमैन लालकेश्वर प्रसाद काे वाराणसी में शराब माफिया ने पनाह दे रखी थी. काशी के महमूरगंज, शीलनगर,अस्सी घाट इलाका, गोदौलिया, शिवाला में पिछले तीनों से दिनों से लालकेश्वर पत्नी के साथ सिर छुपा रहे थे. हर पल वे ठिकाना बदल रहे थे. […]
विजय सिंह
पटना : पटना एसआइटी के कुख्यात बने बिहार बोर्ड के पूर्व चेयरमैन लालकेश्वर प्रसाद काे वाराणसी में शराब माफिया ने पनाह दे रखी थी. काशी के महमूरगंज, शीलनगर,अस्सी घाट इलाका, गोदौलिया, शिवाला में पिछले तीनों से दिनों से लालकेश्वर पत्नी के साथ सिर छुपा रहे थे. हर पल वे ठिकाना बदल रहे थे. उनका रिश्तेदार प्रभात जायसवाल, बेटे की साली अनामिका साये की तरह उसके साथ थे. लखनऊ से लौटने के बाद सबसे पहले वे शीलनगर ही पहुंचे थे.
ऐसे पकड़े गये लालकेश्वर : पुलिस को सर्विलांस के माध्यम से लिंक मिला था. जब टावर लोकेशन देखा गया, तो वाराणसी का इलाका सामने आया. इसके बाद पुलिस ने यह पता लगाना शुरू किया कि वाराणसी में लालकेश्वर की कोई रिश्तेदारी है या नहीं. पुलिस ने इसके लिए रिमांड पर लिये गये बच्चा राय समेत कुछ अन्य लोगों से पूछताछ की. उनसे संभावित ठिकानों के बारे में जानकारी ली.
इसी दौरान महमूरगंज के शीलनगर में रिश्तेदार के होने की जानकारी मिली. एक तरफ पटना के रंगदारी सेल में सूचनाएं एकत्र की जा रही थीं, तो दूसरी तरफ वाराणसी में एसआइटी संकरी गलियों की खाक छान रही थी.
पुलिस यही पता करने में सफल हो गयी थी कि उनका रिश्तेदार शराब माफिया है. इसके बाद क्राइम ब्रांच वाराणसी की मदद से उनके रिश्तेदार के आवास शीलनगर से निकलनेवाले सभी रास्तों पर पुलिस का पहरा बैठा दिया गया था. सादे वेश में जबरदस्त नाकेबंदी की गयी थी. पुलिस की प्लानिंग तब सही साबित हुई, जब प्रभात जायसवाल दोनों को लेकर कार से आश्रम के लिए निकला. पुलिस ने शिवाला के पास उन्हें दबोच लिया.
मुगलसराय में मिला था सबसे पहला लोकेशन : लालकेश्वर दिल्ली और लखनऊ से पूर्वांचल की तरफ बढ़े, तो सबसे पहला लोकेशन मुगलसराय का मिला था. इसके बाद से ही वह पुलिस के रडार पर आ गये थे.
लेकिन, इतना जल्दी-जल्दी रिहायशी इलाके में वह ठिकाना बदल रहा था कि पुलिस को उनके गिरेबान तक पहुंचने में पसीने छूट रहे थे. वाराणसी पुलिस का क्राइम ब्रांच, सर्विलांस और पटना एसआइटी की जुगलबंदी के बीच लालकेश्वर घिर गये. फिर भी तीन दिनों तक वे काशी में छकाते रहे. पुलिस का कहना है कि उनके शराब माफिया रिश्तेदार ने उन्हें महफूज करने की ब्लू प्रिंट तैयार कर रखी थी. लखनऊ में भी कुछ ठिकानों पर उसने ही लालकेश्वर को छुपाया था.
लंदन से आया इंजीनियर बेटा नहीं करा सका जमानत : टाॅपर घोटाले में नाम जुड़ने के बाद लालकेश्वर प्रसाद का बेटा पिक्कू लंदन से पटना आ गया था. वह कानूनविदों के संपर्क में थे. उसकी कोशिश थी कि कुर्की की कार्रवाई से पहले उसके माता-पिता को अग्रिम जमानत मिल जाये. इधर पुलिस दोनों की बेसब्री से तलाश कर रही थी. वहीं पुलिस से बचने के लिए लालकेश्वर व उषा सिन्हा जगह बदल कर सिर छुपाये हुए थे, लेकिन पुलिस को उनका लोकेशन मिलने लगा था.
