सुशील मोदी का लालू प्रसाद पर निशाना, कहा- भूत-प्रेत और तंत्र-मंत्र को मानने वाले राजद मुखिया ने…

पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि नया साल बिहार के लिए विधानसभा चुनाव का वर्ष है, इसलिए सभी नागरिकों को हर तरह के दुष्प्रचार, अफवाह, तथ्यहीन बयानबाजी और अंधविश्वास में भरोसा करने वालों से लगातार सावधान रहने की जरूरत है. बिहार में 15 साल राज करने वाले लालू […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 2, 2020 8:25 PM

पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि नया साल बिहार के लिए विधानसभा चुनाव का वर्ष है, इसलिए सभी नागरिकों को हर तरह के दुष्प्रचार, अफवाह, तथ्यहीन बयानबाजी और अंधविश्वास में भरोसा करने वालों से लगातार सावधान रहने की जरूरत है. बिहार में 15 साल राज करने वाले लालू प्रसाद को जब जनता ने सत्ता से बाहर किया था, तब काफी दिनों तक उन्होंने मुख्यमंत्री आवास नहीं छोड़ा और नीतीश कुमार को सर्किट हाउस से सरकार चलानी पड़ी थी. जाते समय लालू प्रसाद मिट्टी तक ले गये थे. भूत-प्रेत और तंत्र-मंत्र को मानने वाले लालू प्रसाद ने बाद में एक तांत्रिक को पार्टी का उपाध्यक्ष तक बना दिया था. जिन्हें जनता पर भरोसा नहीं, वे राज्य का भला क्या करेंगे?

सुशील मोदी ने आगे कहा कि लालू प्रसाद ने सूर्य ग्रहण में बिस्कुट खाने और सूचना क्रांति को आइटी-वाइटी बताकर मजाक उड़ाते हुए बार-बार साबित किया कि उनकी सोच लालटेन युग वाली है, और इसलिए उन्होंने बिहार का विकास नहीं होने दिया. आज भले ही उनके बेटे चार्टर विमान में केक काट कर बर्थ डे मनाएं, लेकिन आम जनता के लिए वे बुलेट ट्रेन और मेट्रो रेल तक का विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि 2020 में लोगों को तय करना है कि बिहार हर घर बिजली, नल का जल, महासेतु, फ्लाइओवर और मेट्रो रेल देने वाली सरकार के साथ चलेगा या चरवाहा विद्यालय खोलवाने वालों के साथ?

उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा कि लालू प्रसाद एक समुदाय को बेवजह डराने के लिए नये नागरिकता कानून पर भूत-प्रेत वाली पुड़िया छिड़कने में लगे हैं, जबकि यह कानून भारत में किसी भी धर्म को किसी भी तरह प्रभावित नहीं करता, न इसमें किसी से नागरिकता छीनने का प्रावधान है. यह कानून तीन देशों में प्रताड़ित हिंदू-ईसाई-सिख आदि अल्पसंख्यक समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता देने वाला है। इनमें 65 फीसद दलित और आदिवासी समाज से हैं. लालू प्रसाद किसी दलित नेता को शंकराचार्य घोषित कर उसका उपहास तो करा सकते हैं, लेकिन दलितों को देश की नागरिकता देने का विरोध कर रहे हैं.