नगर निकाय चुनाव : अब मेयर व डिप्टी मेयर को सीधे जनता चुनेगी, हॉर्स ट्रेडिंग पर लगेगी लगाम

पटना : राज्य के नगर निकायों में मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव में हाॅर्स ट्रेडिंग पर रोकथाम के लिए उनकी चयन प्रक्रिया में बदलाव किया जा रहा है. अब मेयर व डिप्टी मेयर के पद के लिए वार्ड सदस्यों के वोट की जरूरत नहीं रहेगी. आम जनता उनका सीधा चुनाव करेगी. नगर विकास एवं […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 11, 2019 6:37 AM
पटना : राज्य के नगर निकायों में मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव में हाॅर्स ट्रेडिंग पर रोकथाम के लिए उनकी चयन प्रक्रिया में बदलाव किया जा रहा है. अब मेयर व डिप्टी मेयर के पद के लिए वार्ड सदस्यों के वोट की जरूरत नहीं रहेगी. आम जनता उनका सीधा चुनाव करेगी. नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा यह बदलाव किया जा रहा है. इसके तहत नगर निकायों में मेयर व डिप्टी मेयर, सभापति और उपसभापति या मुख्य पार्षद का चुनाव सीधे जनता द्वारा किया जायेगा. आधिकारिक सूत्रों की मानें तो अगले नगर निकाय चुनाव में इसे लागू कर दिया जायेगा.
अभी निर्वाचित वार्ड पार्षद ही मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव करते हैं. इस प्रक्रिया में हाॅर्स ट्रेडिंग होती है और नगर निकायों का विकास कार्य बाधित होता है. राज्य के 143 नगर निकायों की जनता सीधे अपने-अपने निकाय के मेयर व डिप्टी मेयर व मुख्य पार्षदों का चुनाव करेंगी.
विभाग द्वारा इन पदों पर सीधे चुनाव कराने को लेकर अंतिम चरण की तैयारी हो चुकी है. हालांकि, विभाग में इन पदों का चुनाव दलीय आधार पर कराने की तस्वीर साफ नहीं हो पायी है. यह सरकार पर निर्भर है कि वह दलीय आधार पर मेयर, डिप्टी मेयर और वार्ड पार्षदों का चुनाव कराने का निर्णय ले सकती है. जनता द्वारा चुनाव होने पर मेयर को वार्ड सदस्यों के बिना दबाव काम करने का मौका मिलेगा.
नगर विकास विभाग की तैयारी, सभापति, उपसभापति या मुख्य पार्षद के पद का चुनाव भी इसी तरह होगा
कई राज्यों में पहले से है यह व्यवस्था
देश के कई राज्यों में मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव सीधे जनता द्वारा किया जाता है.इन राज्यों में उत्तरप्रदेश, झारखंड, हरियाणा और राजस्थान शामिल हैं.
बिहार में नगर निकाय
12 नगर निगम
49 नगर पर्षद
82 नगर पंचायत
143 कुल नगर निकाय
पांच साल में एक बार ही लाया जा सकता है अविश्वास प्रस्ताव
नगर विकास विभाग में एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिससे अब निर्वाचित मेयर व डिप्टी मेयर के खिलाफ पांच साल में सिर्फ एक बार ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. वह भी उनके आधा कार्यकाल पूरा होने के बाद. इस तरह से मेयर को कम-से-कम ढाई साल तक बिना रुकावट काम करने का मौका मिलेगा. वर्तमान में मेयर के खिलाफ निर्वाचन के दो साल के बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. उसके एक साल के बाद फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकार पार्षदों को है.
विभाग पहले से ही मेयर और डिप्टी मेयर के सीधे चुनाव को लेकर ऐसे प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. कई स्तरों पर इस प्रस्ताव की समीक्षा भी की गयी है. विकास एवं प्रबंधन संस्थान से भी इस प्रस्ताव को लेकर अध्ययन कराया गया है. अभी इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय बाकी है.
-सुरेश कुमार शर्मा, नगर विकास एवं आवास मंत्री

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