पटना हाइकोर्ट के 102 वर्षों के इतिहास में यह पहली बार हुआ, विधायिका, कार्यपालिका के बाद अब न्यायपालिका में टकराव

मिथिलेश पटना : पटना हाइकोर्ट के 102 वर्षों के इतिहास में यह पहली बार हुआ, जब जजों के मतभेद खुलकर सामने आ गये. प्रदेश में विधायिका और कार्यपालिका के टकराव की अनेक घटनाएं हो चुकी हैं. लेकिन, बुधवार और गुरुवार को पटना हाइकोर्ट में जो कुछ हुआ, वह अप्रत्याशित था. प्रदेश में पूर्व में राज्यपाल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2019 8:08 AM
मिथिलेश
पटना : पटना हाइकोर्ट के 102 वर्षों के इतिहास में यह पहली बार हुआ, जब जजों के मतभेद खुलकर सामने आ गये. प्रदेश में विधायिका और कार्यपालिका के टकराव की अनेक घटनाएं हो चुकी हैं. लेकिन, बुधवार और गुरुवार को पटना हाइकोर्ट में जो कुछ हुआ, वह अप्रत्याशित था. प्रदेश में पूर्व में राज्यपाल बनाम सरकार, सरकार बनाम अफसर की कई घटनाएं हो चुकी हैं. लेकिन, कोर्ट की देहरी से कोई विवाद बाहर नहीं आया था.
कोर्ट के कई हालिया फैसले आम लोगों में चर्चा का विषय रहे. पर अचानक ऐसा क्या हुआ कि अदालत को लेकर चर्चा की दिशा मुड़ गयी? ऐसा माना जा रहा है कि जस्टिस राकेश कुमार के आदेश में सामने आयी व्यथा के निशाने पर बड़े लोग हैं.
चारा घोटाले के दिनों में सीबीआइ के वकील रहे जस्टिस राकेश कुमार की छवि उनके जजशिप के पिछले 10 सालों में सख्त, पर सौम्य जज की रही है. काम वापस ले लिये जाने के कारण गुरुवार को दिन भर वह अपने कक्ष में ही रहे. खास बात यह कि पटना हाइकोर्टमें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शाही और उनके बाद दूसरे नंबर पर रहे जस्टिस राकेश कुमार भी 31 दिसंबर, 2020 को रिटायर होने वाले हैं. वरीय अधिवक्ता वाइसी वर्मा कहते हैं, हाइकोर्ट के इतिहास में ऐसा वाकया सुनने को नहीं आया.
गुरुवार को जस्टिस से उनके सारे काम वापस ले लिये जाने के बाद भी बड़ी संख्या में उनसे मिलने-जुलने वालों की भीड़ लगी रही. पटना हाइकोर्ट से ही प्रैक्टिस शुरू करने वाले जस्टिस राकेश कुमार 25 दिसंबर, 2009 को यहां जज नियुक्त किये गये थे.