विधायक अनंत सिंह को हथकड़ी पहना पायेगी बिहार पुलिस?

पटना : मोकामा के निर्दलीय बाहुबली विधायक अनंत सिंह को ट्रांजिट रिमांड पर लेने के बाद हथकड़ी लगा पायेगी? बिहार के तत्कालीन सांसद पप्पू यादव को हथकड़ी पहनाकर अदालत में पेश किये जाने पर बिहार पुलिस पहले ही शर्मसार हो चुकी है. बिहार पुलिस के नौ कर्मियों को उससमय निलंबित करने की कार्रवाई भी की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 24, 2019 10:51 AM

पटना : मोकामा के निर्दलीय बाहुबली विधायक अनंत सिंह को ट्रांजिट रिमांड पर लेने के बाद हथकड़ी लगा पायेगी? बिहार के तत्कालीन सांसद पप्पू यादव को हथकड़ी पहनाकर अदालत में पेश किये जाने पर बिहार पुलिस पहले ही शर्मसार हो चुकी है. बिहार पुलिस के नौ कर्मियों को उससमय निलंबित करने की कार्रवाई भी की जा चुकी है. हथकड़ी पहनाये जाने के मामले को संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 का उल्लंघन मानने के साथ-साथ मानवाधिकार का हनन भी माना गया है.

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पप्पू यादव को हथकड़ी पहनाने पर निलंबित किये गये थे नौ पुलिसकर्मी

जेएपी के संरक्षक व सांसद तत्कालीन पप्पू यादव को एक मामले में पटना पुलिस ने गिरफ्तार करते हुए हथकड़ी लगायी थी. इसके बाद उनकी सांसद पत्नी रंजीत रंजन ने लोकसभा में मामला उठाया था. साथ ही तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से आवश्यक कार्रवाई की मांग की थी. रंजीत रंजन ने लोकसभा अध्यक्ष से कहा कि लोकसभा सदस्य पप्पू यादव को हिरासत में रख कर प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पप्पू यादव ने बेनामी संपत्ति और नकल के विरोध में पटना में 28 मार्च, 2017 को विरोध प्रदर्शन और घेराव किया था. इसके बाद पुलिस ने एक पुराने मामले में गिरफ्तार कर लिया था. उन्होंने राज्य सरकार पर राजनीतिक बदले की भावना से काम करने का आरोप भी लगाया था. इसके बाद तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष ने पप्पू यादव को हथकड़ी पहनाये जाने के मामले पर संज्ञान लेते हुए बिहार पुलिस से जवाब तलब किया था. बाद में तत्कालीन एसएसपी मनु महाराज ने एसआइ प्रदीप, एएसआइ जमालुद्दीन सहित नौ कांस्टेबल को निलंबित कर दिया था.

संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के साथ-साथ मानवाधिकार का उल्लंघन है हथकड़ी पहनाना

सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर ने सुनील बत्रा बनाम देलही एडमिनिस्ट्रेशन (AIR-1978, SC पेज 1678) द्वारा देश में हथकड़ी पहनाये जाने की प्रथा को अमानवीय घोषित कर चुके हैं. हथकड़ी पहनाने की कार्रवाई पूरी तरह विधिविरुद्ध और संविधान के अनुच्छेद 19 एवं 21 के प्रतिकूल घोषित की जा चुकी है. इसके बावजूद हथकड़ी पहनाये जाने के कई मामले सामने आ चुके हैं. हथकड़ी पहनाये जाने को मानवाधिकार का हनन भी माना गया है. प्रेमशंकर शुक्ला बनाम देलही एडमिनिस्ट्रेशन (AIR-1980-SC पेज 540) में सुप्रीम कोर्ट ने आदेशात्मक दिशा-निर्देश जारी किये थे. साथ ही कहा है कि गिरफ्तार व्यक्ति को हथकड़ी पहनाना अनुच्छेद 19 एवं 21 का उल्लंघन है. हथकड़ी पहनाकर गिरफ्तार लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना अमानवीय अपमानजनक और उत्पीड़क है. इससे मानवाधिकारों का हनन होता है. खेत मजदूर चेतना संघ बनाम स्टेट आफ मध्य प्रदेश (AIR-1995, SC पेज 31) में सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक मुद्दों पर धरना-प्रदर्शन करनेवाले आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी और हथकड़ी लगाने की घटना पर राज्य सरकार के साथ-साथ संबंधित न्यायिक अधिकारी को भी फटकार लगायी थी.

हथकड़ी पहनाने के सामने आये और कई मामले

बताया जाता है कि सेवानिवृत्त जज से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री को भी हथकड़ी पहनायी जा चुकी है. हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एएस बैन्स को हरियाणा पुलिस ने हथकड़ी पहनाकर थाने से न्यायालय ले आयी थी. इस पर हाइकोर्ट ने पुलिस की कार्यवाही को अमानवीय बताते हुए राज्य सरकार के विरुद्ध पेनाल्टी अधिरोपित करते हुए पचास हजार रुपये क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया था. वहीं, हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवीलाल ने पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी वंशीलाल को हथकड़ी पहनावाकर सड़क पर घुमवाया था. हालांकि, बाद में सुनील गुप्ता बनाम स्टेट आफ मध्य प्रदेश (1990-SCC क्रिमिनल -पेज 441) में सुप्रीम कोर्ट ने पुन: प्रतिपादित किया कि गिरफ्तार व्यक्ति यदि खतरनाक है और पुलिस अभिरक्षा के दौरान उसके भाग जाने की संभावना प्रतीत होती है, तो उसे थाने से मजिस्ट्रेट के समक्ष लाने के लिए हथकड़ी पहनाने के पूर्व संबंधित अधिकारी को थाने की डायरी में हथकड़ी पहनाने के कारणों को अभिलिखित करना होगा. साथ ही कागजात के साथ इसकी प्रति भी मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करनी होगी. अदालत को गिरफ्तार व्यक्ति के भाग जाने की संभावना के बारे में संपूर्ण तथ्यों से अवगत कराना होगा. इसके बाद न्यायिक अधिकारी के आदेश के अधीन ही हथकड़ी पहनायी जा सकती है. साथ ही सुरक्षा के मद्देजनर गिरफ्तार विक्षिप्त को हथकड़ी पहनायी जा सकती है.

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