AES से मौत के विरोध में पटना से लेकर दिल्ली तक कांग्रेसियों का प्रदर्शन, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के आवास के बाहर प्रदर्शन, गिरफ्तार

नयी दिल्ली / पटना : मुजफ्फरपुर में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से बच्चों की मौत के विरोध में राजधानी पटना से लेकर दिल्ली तक कांग्रेसियों ने हंगामा किया. नयी दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के आवास के पास यूथ कांग्रेस के सदस्यों ने गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया. केंद्र सरकार के खिलाफ बैनर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 27, 2019 1:39 PM

नयी दिल्ली / पटना : मुजफ्फरपुर में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से बच्चों की मौत के विरोध में राजधानी पटना से लेकर दिल्ली तक कांग्रेसियों ने हंगामा किया. नयी दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के आवास के पास यूथ कांग्रेस के सदस्यों ने गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया. केंद्र सरकार के खिलाफ बैनर पोस्टर लिए पहुंचे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की. वहीं, पटना में जेपी गोलंबर के पास कांग्रेस का छात्र संगठन एनएसयूआई के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया.

जानकारी के मुताबिक, मुजफ्फरपुर में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से बच्चों की मौत के विरोध में यूथ कांग्रेस के सदस्य गुरुवार को नयी दिल्ली स्थित केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के आवास पर प्रदर्शन करने के लिए पहुंचे. केंद्रीय मंत्री के आवास के पास पहुंचते ही दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारी कांग्रसियों को रोक दिया. प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में मौजूद पुलिस बल ने विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया. प्रदर्शनकारी कांग्रेसियों ने कहा कि वर्ष 2014 में केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए बिहार का दौरा किया था. उस समय उन्होंने बिहार की स्वास्थ्य समस्याओं का निदान करने और अस्पताल का निर्माण करने के साथ बेहतर सुविधा देने का वादा किया था. लेकिन, उन्होंने अपना वादा पूरा नहीं किया. वहीं, पटना में एईएस से बच्चों की हो रही मौत के विरोध में कांग्रेस का छात्र संगठन एनएसयूआई के सदस्यों ने गुरुवार को जेपी गोलंबर के पास प्रदर्शन किया है.

मालूम हो कि बिहार में एईएस से डेढ़ सौ से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. बिहार और केंद्र सरकार पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए पटना हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ-साथ बिहार और यूपी सरकार से सात दिनों में जवाब मांगा है.

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