खराब ट्रैफिक, पार्किंग की दिक्कत ने कम किये पटना मार्केट के ग्राहक

सुबोध कुमार नंदनपटना :कभी पटना की शान हुआ करता थापटना मार्केट . शहर के नवाब से लेकर उच्च वर्ग के लोग यहां परिवार के साथ खरीदारी करने दूर-दूर से आया करते थे. यह मार्केट खास कर महिलाओं की पहली पसंद हुआ करता था. कपड़ों को लेकर आज भी इस मार्केट की प्रसिद्धि है, लेकिन खराब […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 26, 2019 4:26 AM

सुबोध कुमार नंदन
पटना :
कभी पटना की शान हुआ करता थापटना मार्केट . शहर के नवाब से लेकर उच्च वर्ग के लोग यहां परिवार के साथ खरीदारी करने दूर-दूर से आया करते थे. यह मार्केट खास कर महिलाओं की पहली पसंद हुआ करता था. कपड़ों को लेकर आज भी इस मार्केट की प्रसिद्धि है, लेकिन खराब ट्रैफिक व्यवस्था और मार्केट की अपनी पार्किंग नहीं होने से लोग यहां नहीं आना चाहते. प्रभात खबर ने करीब 150 दुकानों वाले इस मार्केट की वर्तमान स्थिति की पड़ताल की.

पटना मार्केट में पार्किंग की छोटी-सी जगह है. यहां पर सुबह से लेकर शाम तक दुकानदारों की गाड़ियां ही लगी रहती हैं. ग्राहकों को कहना है कि मार्केट के अंदर बाइक लगाने तक की जगह नहीं है. अशोक राजपथ पर भी गाड़ियां खड़ी नहीं कर सकते. ऐसे में यहां कौन आना चाहेगा. वहीं, ग्राहकों के पास दूसरे आॅप्शन भी उपलब्ध हुए हैं. यहां के कारोबारियों का मानना है कि शादी की खरीदारी पटना मार्केट आये बिना पूरी नहीं होती.
आज से कुछ साल पहले तक मार्केट खुलने से बंद होने तक ग्राहकों की आवाजाही से गुलजार रहता था. दुकानदार ग्राहकों की फरमाइश पूरी करने में लगे रहते थे. आज हालात ऐसे हैं कि ग्राहकों का इंतजार करना पड़ता है. इस मार्केट की 150 दुकानें मुख्य रूप से कपड़ों के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध थीं. आज हालात विपरीत हैं. शहर में मार्केट के हुए विस्तार का असर इस मार्केट पर साफ देखने को मिलता है.
मार्केट की पहचान
इस मार्केट की पहचान बनारसी साड़ियों को लेकर सबसे अधिक है. बनारसी साड़ियों का जो कलेक्शन और डिजाइन यहां मिलता है, वह अन्य किसी मार्केट में नहीं मिलता है. ऐसा दावा यहां के दुकानदारों का है. इस कारण आज भी शादी की खरीदारी के लिए लोग यहां आते हैं.
इसके कारण इस मार्केट की पहचान वेडिंग कलेक्शन के रूप में मशहूर है. इसके अलावा इसे जड़ी के बारीक काम के लिए भी जाना जाता है. यहां कई दुकानें हैं, जहां साड़ियों में जड़ी का काम होता है. मार्केट का रौनक वर्षों भर बनी रहती है.
बाहर से कपड़ा खरीद, सिलाई के लिए लोग आते थे : इस मार्केट में 50 से अधिक टेलर की दुकान हैं. इनमें जेंट्स टेलर और लेडीज टेलर दोनों शामिल हैं. किसी जमाने में लोग बाहर से कपड़ा खरीदते थे, लेकिन सिलाई के लिए पटना मार्केट आते थे.
खासकर लगन के मौके पर तो लोगों को एक-एक माह पहले नाप देना पड़ता था. इनमें सबसे पुराने और प्रसिद्ध हैं लिबर्टी टेलर, फाइन टेलर, रिपब्लिक टेलर जहां आज भी सूट सिलवाने के लिए लोग लोग आते हैं. इसके अलावा यहां 10 से अधिक ब्यूटी पार्लर भी हैं.
  • बनारसी साड़ियों का जो कलेक्शन यहां है, वह किसी अन्य मार्केट में नहीं मिलता
  • मार्केट की पहचान वेडिंग कलेक्शन के रूप में मशहूर है

सूबे का सबसे पुराना व्यवस्थित मार्केट

मार्केट राजधानी ही नहीं, सूबे का पहला मार्केट था, जो पूरी तरह व्यवस्थित है. इसकी स्थापना आजाद भारत से पहले 1943 में की गयी थी. बैरिस्टर सैयद हैदर इमाम ने 1947-48 में इसे विकसित किया. पीएमसीएच क्षेत्र की मुख्य सड़क पर दुकानें टिन शेड या छप्पर वाले एक कमरे में चल रही थीं. हैदर साहब ने पक्की इमारतें, बिजली, पानी और अन्य आधुनिक सुविधाएं मुहैया करायीं.
50 फीसदी तक हुई कारोबार में गिरावट
य|हां के कारोबार में 50 फीसदी तक की गिरावट दर्ज होने की बात अधिकांश कारोबारी स्वीकार करते हैं. दुकानदारों का कहना है कि आज शहर में बड़ी-बड़ी दुकानें खुलने से यहां ग्राहकों की संख्या में कमी आयी है. आज इस मार्केट में हर दिन का कारोबार लगभग 8 से 10 लाख रुपये तक का है. एक समय था कि 30 लाख रुपये से अधिक का कारोबार हर दिन होता था. अब स्टाफ में कटौती की गयी है.
दिक्कतें दूर हों
पटना नगर निगम की ओर से पार्किंग की जगह मार्केट के सामने है, लेकिन जगह नहीं होने कारण खासकर कार को पार्क करना बहुत बड़ी समस्या है. नगर निगम से अच्छा राजस्व मिलता है, लेकिन सुविधा के नाम पर केवल बाइक पार्किंग है. वहां भी जगह कम है. प्रशासन को सीसीटीवी कैमरा लगना चाहिए.
-राजू मोदी
पटना मार्केट शहर का सबसे सुरक्षित मार्केट है. यही कारण है कि महिलाएं बेफिक्र होकर खरीदारी करती हैं. आज भी इस मार्केट में प्रवासी भारतीय खरीदारी करने आते हैं. यहां जो साड़ी, सूट या अन्य परिधान मिलेगा, वह अन्य मार्केट में नहीं मिलेगा. यह मार्केट उचित मूल्य के लिए लोगों के बीच लोकप्रिय है.
-अशोक चांडक
छह-सात साल पहले हुआ फर्श, नाले का निर्माण
छह-सात माह पहले मार्केट परिसर के टूटे-फूटे फर्श को नये सिर से फर्श लगाकर सुंदर और व्यवस्थित किया गया. यह कार्य मकसूद आलम ने अपने देख-रेख करवाया.
केवल दुकानदारों ने उन्हें आर्थिक सहयोग किया. आलम ने बताया कि फर्श के बीच-बीच में चैंबर का निर्माण किया गया है ताकि आग लगने की स्थिति में इसका फायदा उठाया जा सके.
मेन गेट के नाम पर
लगाये गये हैं छोटे खंभेम र्केट के प्रवेश द्वार पर लोहे के छोटे-छोटे खंभे लगे हैं, ताकि ग्राहक बाइक या स्कूटी अंदर नहीं ले जा सकें. लेकिन ये खंभे केवल ग्राहकों के लिए हैं, क्योंकि दुकानदार अपने वाहन आराम से मार्केट में लाते हैं.
इसमें से एक खंभे को हटाया जा सकता है. जब दुकानदार बाइक लेकर आते हैं, तो बीच वाला एक खंभा खोल लेते हैं और प्रवेश कर जाते हैं और उसी तरह से बाहर आ
जाते हैं.
चार भागों में बंटा है मार्केट
पटना मार्केट चार भागों में बंटा है. प्रवेश द्वार के पास बनी दुकानें अशोक मार्केट कहलाती हैं. उसके बाद आगे बढ़ने पर आता है पटना मार्केट और इसके आगे की दुकानें गोल मार्केट के अंदर आती हैं. गोल मार्केट वाकई गोल है. चौथा मार्केट मीना बाजार में नाम से लोकप्रिय है.
मांग में कमी
कोल्हापुरी चप्पल और जूती की मांग काफी कम हो गयी है. सच्चाई यह है कि इनकी मांग 40 फीसदी से भी कम हो गयी है. इनकी मांग केवल ईद-होली या लगन के मौके तक रह गयी है.

Next Article

Exit mobile version