पटना :बैंकों ने एक लाख नौ हजार करोड़ दिये कर्ज, 15 हजार करोड़ रुपये डूबे

पैसे नहीं लौटाने से हुई समस्या, पांच लाख से ज्यादा मामले लंबित पटना : राज्य में सभी तरह के बैंक ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान एक लाख नौ हजार 582 करोड़ का लोन बांटा था या कहें लोगों को विभिन्न मदों में कर्ज दिया था. इसमें करीब 11 फीसदी यानी 15 हजार दो करोड़ […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 25, 2019 7:34 AM
पैसे नहीं लौटाने से हुई समस्या, पांच लाख से ज्यादा मामले लंबित
पटना : राज्य में सभी तरह के बैंक ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान एक लाख नौ हजार 582 करोड़ का लोन बांटा था या कहें लोगों को विभिन्न मदों में कर्ज दिया था. इसमें करीब 11 फीसदी यानी 15 हजार दो करोड़ रुपये डूब गये हैं. कर्ज के तौर पर बांटे गये इन रुपये के लौटने की संभावना बेहद कम है. यह राशि बैंकों के लिए एनपीए (नन-परफॉर्मिंग एसेट) बन गये हैं.
हालांकि, पिछले वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान बैंकों का एनपीए 11.26 प्रतिशत था. इसकी तुलना में इस बार बहुत मामूली (0.33 प्रतिशत) की कमी आयी है. राज्य में बैंकों के एनपीए की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है.
यहां के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) का एनपीए अन्य बैंकों की तुलना में सबसे ज्यादा है. इनका एनपीए 25.16 है. इन्होंने बीते वित्तीय वर्ष के दौरान 17 हजार 733 करोड़ का लोन बांटा था, जिसमें चार हजार 462 करोड़ रुपये फंस गये हैं.
इसके बाद यहां के सभी वाणिज्य बैंकों का नंबर आता है, जिनका एनपीए 9.08 प्रतिशत है. इन्होंने एक लाख 12 हजार 997 करोड़ का लोन बांटा है, जिसमें 10 हजार 255 करोड़ डूब गये हैं. राज्य में जितने रुपये एनपीए के तौर पर फंस गये हैं.
उसमें सबसे ज्यादा वैसे लोन हैं, जो कृषि क्षेत्र में दिये गये हैं. कृषि और इससे संबंधित क्षेत्रों में बैंक सबसे कम लोन देने हैं. फिर भी इस क्षेत्र का एनपीए सबसे ज्यादा 19.08 प्रतिशत है. इसके बाद प्राथमिक क्षेत्रों का नंबर आता है, जिसका एनपीए 15.41 प्रतिशत है. मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्योग के क्षेत्र में 12.85 प्रतिशत और अन्य प्राथमिक क्षेत्रों में 7.91 प्रतिशत एनपीए है.
एनपीए से जुड़े मुकदमों की सुनवाई में हो रही देर
राज्य सरकार ने एनपीए की वसूली के लिए प्रत्येक जिले में एक एडीएम को इससे जुड़े मुकदमों की सुनवाई करने की जिम्मेदारी सौंपी है. परंतु इनके स्तर से सुनवाई नहीं होने से लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. मार्च 2019 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष तक लंबित मामलों की संख्या पांच लाख 88 हजार 538 है.
इन मामलों में नीलामपत्र दायर हो चुके हैं, जिनकी सुनवाई वरीय उप समाहर्ता (बैंकिंग) के पास चल रही है. वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान के अंत तक 17 हजार 398 मामले दायर हुए तथा इसमें नौ हजार 268 मामलों का निबटारा हुआ. वित्त विभाग ने सभी जिलों को लंबित पड़े इन मामलों का निबटारा जल्द करने का कई बार आदेश दिया है, लेकिन अब तक इसमें तेजी नहीं आयी है.
इन बैंकों में एनपीए ज्यादा
पीएनबी31.03
उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक28.03
दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक 22.73
कर्नाटक21.40
सिंडिकेट14.96
यूको14.48
इंडियन ओवरसीज14.37
बैंक ऑफ इंडिया12.87
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया12.76
बैंक ऑफ बड़ौदा12.39

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