बिहार में मॉनसून फिर कमजोर, पछुआ ने मॉनसून को धकेला दूर, अगले 48 घंटे बारिश नहीं, लू चलने के आसार

ड्राइ स्पेल का संकट फिर शुरू पटना : पछुआ हवा ने मॉनसून को मध्य और पश्चिम-दक्षिण बिहार से दूर धकेल दिया है. बिहार में केवल हिमालय के तराई वाले इलाके में छिटपुट बारिश हो सकती है. फिलहाल सोमवार को एक बार फिर गर्मी बढ़ गयी. तापमान सामान्य से चार डिग्री अधिक 39़ 4 डिग्री सेल्सियस […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 25, 2019 6:37 AM
ड्राइ स्पेल का संकट फिर शुरू
पटना : पछुआ हवा ने मॉनसून को मध्य और पश्चिम-दक्षिण बिहार से दूर धकेल दिया है. बिहार में केवल हिमालय के तराई वाले इलाके में छिटपुट बारिश हो सकती है.
फिलहाल सोमवार को एक बार फिर गर्मी बढ़ गयी. तापमान सामान्य से चार डिग्री अधिक 39़ 4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. न्यूनतम तापमान भी सामान्य से तीन डिग्री अधिक 29़ 2 डिग्री रहा. इस तरह पिछले दिनों की अपेक्षा पटना का तापमान कुछ अधिक रहा.
हालांकि अगले तीन दिन तक पटना शहर के आसमान में बादल छाये रहने का पूर्वानुमान है. 28 जून से लू चलने की आशंका है. आइएमडी पटना के मुताबिक बदले हुए मौसम की वजह पछुआ हवा है. प्रारंभिक रिपोर्ट में पूर्वानुमान है कि कम-से-कम अगले 48 घंटे तक यह हवा चलेगी. इसके चलते तकरीबन आधे से अधिक हिस्से में मॉनसून कमजोर हो गया है. इस तरह मॉनसून के दस्तक देने के बाद ड्राइ स्पेल शुरू हो गया है. इसका असर खेती पर पड़ना तय है.
ड्राइ स्पेल खेती के लिए खतरे की घंटी : कृषि विज्ञानियों के मुताबिक किसान को चाहिए कि वे अधिक पानी वाली फसलों पर ज्यादा भरोसा न करें. देरी से आये मॉनसून में बीच-बीच में कई ड्राइ स्पेल हो सकते हैं.
जानकारी के मुताबिक ड्राइ स्पेल पिछले 10 सालों से बिहार की खेती के लिए चुनौती है. ड्राइ स्पेल का मतलब दो बारिश काल के बीच के वर्षा नहीं होने वाले दिनों से होता है. अगर यह समयावधि बढ़ती है, तो सूखे का संकट खड़ा हो जाता है. लिहाजा किसान वर्षा जल सहेजने पर ज्यादा फोकस करें.
बारिश की उम्मीद नहीं
साउथ वेस्ट मॉनसून फिर अटक गया है. स्थानीय मौसम विज्ञानियों की निगाह, अब फिर बंगाल की खाड़ी पर जा टिकी है. अभी यहां मॉनसून को ताकत देने वाला कोई सिस्टम नहीं है. हालांकि वैज्ञानिकों का मत है कि जल्द ही यहां एक सिस्टम विकसित हो सकता है.
बिहार को कोई उम्मीद नहीं
अरब सागर के कुछ क्षेत्रों में मॉनसून सिस्टम बन रहा है. लेकिन इस सिस्टम से बिहार को कोई उम्मीद नहीं है. दरअसल साउथ वेस्ट मॉनसून हमेशा से बिहार में आने के लिए बंगाल की खाड़ी से ताकत पाता है, क्योंकि बिहार और बंगाल की खाड़ी के बीच की दूरी मात्र 1314 किलोमीटर है,जबकि बिहार से अरब सागर की दूरी बंगाल की खाड़ी की अपेक्षा दो गुना अधिक मसलन 2647 किलोमीटर है. लिहाजा वहां से आने वाला सिस्टम उत्तरप्रदेश के बीच तक दम तोड़ देता है.

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