बिहार : बेटिकट सांसद भाजपा के लिए होंगे चुनौती, टिकट की आस लिये नेता भी कर सकते हैं भीतरघात

पटना : होली का त्योहार खत्म होते ही रंग भले ही उतरने लगा हो, लेकिन चुनावी रंग तेजी से चढ़ता जा रहा है. भाजपा में नेताओं की होली तो टिकट की आस और इसे पाने की अंतिम जुगत में ही खत्म हो गयी. परंतु अब जब टिकट की घोषणा होने का मौका आ गया है, […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 23, 2019 7:38 AM

पटना : होली का त्योहार खत्म होते ही रंग भले ही उतरने लगा हो, लेकिन चुनावी रंग तेजी से चढ़ता जा रहा है. भाजपा में नेताओं की होली तो टिकट की आस और इसे पाने की अंतिम जुगत में ही खत्म हो गयी. परंतु अब जब टिकट की घोषणा होने का मौका आ गया है, तो बेटिकट हुए नेताओं में विरोधी स्वर उभरने की आशंका बढ़ती जा रही है.

जिन्हें टिकट मिलेगा, वे तो चुनावी समर में जी-जान से जुट जायेंगे, लेकिन जिनका टिकट कटेगा वे क्या करेंगे, यह सबसे बड़ा सवाल है. शुरुआती हालात तो बता रहे हैं कि बेटिकट नेताओं को संभाले रखना पार्टी की सबसे बड़ी चुनौती होगी. इनमें उन सांसदों के भी नाम हैं, जिनकी सीटें जदयू और लोजपा को दी गयी है.

सबसे ज्यादा रस्सा-कसी झंझारपुर, गोपालगंज, सीवान, गया और वाल्मीकीनगर की सीट पर होने के आसार हैं. यहां के मौजूदा सांसदों का टिकट कट गया है और उनकी सीटें जदयू को दी गयी है. नवादा सीट लोजपा के खाते में जाने का केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह जोरदार विरोध वे कर चुके हैं.

महाराजगंज सीट से एमएलसी सच्चिदानंद राय को टिकट नहीं मिलने से वह नाराज चल रहे हैं. अपनी जाति का समीकरण समझाते हुए यह सीट उन्हें मिलने की वकालत करते हैं. हालांकि, यह सीट सीटिंग सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल को मिलना तय हो गया है. पटना साहिब की सीट पर भी कुछ इसी तरह के आसार हैं.

Next Article

Exit mobile version