पटना : आमजन के हितों का ख्याल रखे पुलिस: डीजीपी

अनुग्रह नारायण सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान में सेमिनार आयोजित पटना : डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि जनता को अपराध नियंत्रण के लिए पुलिस का सहयोग करना चाहिए. पुलिस को भी आम जन के हितों का ख्याल रखना होगा, तभी कम्युनिटी पुलिसिंग सार्थक रूप में सफल होगी. सभी राज्यों और शहरों में पुलिसिंग में सामुदायिक […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 17, 2019 8:59 AM

अनुग्रह नारायण सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान में सेमिनार आयोजित

पटना : डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि जनता को अपराध नियंत्रण के लिए पुलिस का सहयोग करना चाहिए. पुलिस को भी आम जन के हितों का ख्याल रखना होगा, तभी कम्युनिटी पुलिसिंग सार्थक रूप में सफल होगी.
सभी राज्यों और शहरों में पुलिसिंग में सामुदायिक भागीदारी के लिए कई योजनाएं शुरू की गयी हैं. शुरू में तो बहुत अच्छा काम किया, लेकिन समय की कसौटी पर खरा उतरने में पूरी तरह सफल नहीं हैं.
समूह यदि बदमाश-दबंगों का साथ देने लगता है तो उन पर नियंत्रण पाना कठिन हो जाता है. कई बार हालात राजनीतिक सौदेबाजी की स्थिति तक पहुंच जाते हैं. डीजीपी शनिवार को अनुग्रह नारायण सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान में ‘कम्युनिटी पुलिसिंग इन बिहार: चुनौतियां और संभावनाएं’ विषय पर सेमिनार में बोल रहे थे.
कम्युनिटी पुलिसिंग एक नया दर्शन है
डीजीपी ने यह बताने का प्रयास किया कि अपराध नियंत्रण, कानून और व्यवस्था प्रबंधन समुदाय की कुल भागीदारी की आवश्यकता वाले सहभागी कार्य हैं.
कम्युनिटी पुलिसिंग एक नया दर्शन है जो पुलिस समुदाय की बातचीत को इस तरह से परिकल्पित करता है, जिससे समुदाय की विभिन्न समस्याओं के रचनात्मक समाधान का पता लगाया जा सके और समुदाय के साथ निकट संपर्क के माध्यम से इसे लागू किया जा सके. यह एक दर्शन है जो मानता है कि केवल एक साथ काम करने से आम जनता और पुलिस समुदाय में गुणवत्ता में सुधार कर पायेंगे.
यह पुलिस सेवा की प्रक्रिया में, खुद को व्यवस्थित करने की प्रक्रिया में नागरिक को शामिल करने की कोशिश करता है, इसे लोगों द्वारा और लोगों के लिए पुलिसिंग कहा जा सकता है. डीजीपी ने 1950 में आयी राष्ट्रीय पुलिस आयोग की रिपोर्ट और अपने अनुभव को साझा किया. प्रो आरके सिन्हा, कुलपति, नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय, कुलसचिव प्रो नील रतन ने भी अपने विचार साझा किये.
राज्यवर्धन शर्मा ने कम्युनिटी पुलिसिंग का अर्थ प्रो-एक्टिव पुलिसिंग बताया. व्याख्यान में बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारियों, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, नौकरशाहों, संस्थान के विविध संकाय सदस्यों, शोध छात्र-छात्राओं ने विचार रखे. डॉ विद्यार्थी विकास सहायक प्राध्यापक, अर्थशास्त्र ने संचालन किया.

Next Article

Exit mobile version