पटना : जीएसटी के दायरे से बाहर रखी जाएं दवाएं

पटना : फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएमआरआइ) का चार दिवसीय 25वां अखिल भारतीय सम्मेलन गुरुवार से ज्ञान भवन में शुरू हो गया. इस सम्मेलन में 22 राज्यों के करीब एक हजार प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं. सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए फेडरेशन की अध्यक्ष के हेमलता ने जीएसटी के दायरे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 15, 2019 9:23 AM
पटना : फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएमआरआइ) का चार दिवसीय 25वां अखिल भारतीय सम्मेलन गुरुवार से ज्ञान भवन में शुरू हो गया. इस सम्मेलन में 22 राज्यों के करीब एक हजार प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं.
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए फेडरेशन की अध्यक्ष के हेमलता ने जीएसटी के दायरे से दवाओं को बाहर रखने तथा भारतीय पेटेंट कानून को रद्द करने की मांग की. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के दबाव में लाये गये पेटेंट कानून से एक ओर जहां दवाएं महंगी हुई हैं, वहीं मेडिकल सेल्स रिप्रेजेंटेटिव कर्मचारियों की नौकरी खतरे में है. पहले कर्मचारियों की उम्र सीमा 58 साल थी, लेकिन अब उनसे तीन साल का बांड भराया जा रहा है.
जीएसटी से महंगी हो गयीं दवाएं : एफएमआरआइ के प्रदेश सचिव शशि प्रकाश ने कहा कि दवाओं को जीएसटी के दायरे में लाने से दवाएं महंगी हो गयी हैं. खासकर मेडिकल इंप्लांट, सर्जिकल आइटम आदि स्वास्थ्य संबंधित उपकरणों पर जीएसटी लगने से यह महंगे हो गये हैं. इससे अर्थव्यवस्था के साथ ही गरीब मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आर्यभट्ट विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एसएन गुहा ने कहा कि वर्तमान दौर में बीमारियां बढ़ने से दवाओं की खपत भी अधिक बढ़ गयी है.
ऐसे में मेडिकल सेल्स रिप्रेजेंटेटिव कर्मियों का महत्व अधिक बढ़ जाता है. उन्होंने रिप्रेजेंटेटिव्स के रिटायरमेंट की उम्र सीमा को पहले बने कानून की तरह 58 साल बरकरार रखने की जरूरत बतायी. प्रदेश सीटू के महासचिव गणेश शंकर सिंह व झारखंड के सचिव प्रकाश विलुप्त ने कहा कि नया कानून कर्मचारियों के विरोध में बना है. मांग पूरी नहीं होती है, तो बड़े स्तर पर आंदोलन होगा.
सेल्स रिप्रेजेंटिव की मांगें
– विक्रय प्रोत्साहन अधिनियम को सख्ती से लागू किया जाये
– सभी कंपनियों में शिकायत व निष्पादन समिति का गठन हो
– भारतीय पेटेंट कानून को रद्द कर उम्र सीमा 58 साल रहे
– दवाओं के मूल्य में भारी वृद्धि को रोका जाये
– राष्ट्रीय दवा बनाने वाली संस्थाओं को पुनर्जीवित किया जाये
– कार्य का समय निर्धारण आठ घंटे करना

Next Article

Exit mobile version