बिहार में नहीं थम रहा है महिलाओं के खिलाफ अपराध

पटना : बिहार में महिलाओं के साथ बलात्कार, छेड़छाड़, अपहरण, दहेज के लिए हत्या और प्रताड़ना के मामलों में वृद्धि देखी गयी है. पिछले बरस हर दिन जहां बलात्कार की तीन से ज्यादा घटनाएं हुई़ वहीं, अपहरण के 18 से ज्यादा मामले हर रोज दर्ज किये गये. इस वर्ष की पहली छमाही के आंकड़े भी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 9, 2018 2:05 PM

पटना : बिहार में महिलाओं के साथ बलात्कार, छेड़छाड़, अपहरण, दहेज के लिए हत्या और प्रताड़ना के मामलों में वृद्धि देखी गयी है. पिछले बरस हर दिन जहां बलात्कार की तीन से ज्यादा घटनाएं हुई़ वहीं, अपहरण के 18 से ज्यादा मामले हर रोज दर्ज किये गये. इस वर्ष की पहली छमाही के आंकड़े भी कुछ ऐसे ही हैं. राज्य के पुलिस मुख्यालय से भाषा को मिली जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2017 के दौरान प्रदेश में महिला अपराध से जुड़े कुल 15,784 मामले प्रकाश में आये. इनमें बलात्कार के 1199, अपहरण के 6817, दहेज हत्या के 1081, दहेज प्रताड़ना के 4873 और छेड़खानी के 1814 मामले शामिल हैं.

वर्ष 2018 के जून तक बिहार में महिला अपराध के कुल 7683 मामले प्रकाश में आये. इनमें बलात्कार के 682, अपहरण के 2390, दहेज हत्या के 575, दहेज प्रताड़ना के 1535, छेड़खानी के 890 और महिला प्रताड़ना के 1611 मामले शामिल हैं. मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस द्वारा गत 27 अप्रैल को सौंपी गयी सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्ट के आधार पर मुजफ्फरपुर जिला स्थित एक बालिका गृह में 34 लड़कियों के यौन शोषण का मामला सामने आया. वैशाली जिले के एक अल्पवास गृह में महिलाओं के यौन उत्पीड़न का मामला प्रकाश में आया. गत 20 अगस्त को भोजपुर जिले के बिहिया थाना क्षेत्र में एक युवक की हत्या के संदेह में एक महिला को कथित तौर पर निर्वस्त्र कर घुमाया गया. बिहार के कैमूर, जहानाबाद, नालंदा, सहरसा, दरभंगा आदि जिलों में लड़कियों के साथ छेड़खानी के वीडियो वायरल होने, अश्लील फोटो और वीडियो अपलोड करने के मामले भी सामने आये.

बहरहाल, राज्य सरकार ने प्रदेश में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उन्हें पंचायती राज संस्थानों और स्थानीय निकाय चुनाव में 50 फीसदी आरक्षण, शिक्षकों की नियुक्ति में आधी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने, पुलिस सहित अन्य नौकरियों में 35 प्रतिशत का आरक्षण, बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान छेड़ने के सहित कई कदम उठाये हैं. महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए उन्हें रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण देने तथा तकनीकी शिक्षा पर भी जोर दिया जा रहा है.

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