मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामला : मॉनिटरिंग को हाइकोर्ट तैयार, कहा- दो सप्ताह में सीबीआई और राज्य सरकार दे कार्रवाई रिपोर्ट

पटना : मुजफ्फरपुर बालिका गृह की 34 लड़कियों से बलात्कार किये जाने के मामले की मॉनिटरिंग करने के लिए पटना हाइकोर्ट ने सोमवार को फैसला किया है. साथ ही हाईकोर्ट ने सीबीआई और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि मामले में अब तक की गयी कार्रवाई की पूरी रिपोर्ट दो सप्ताह में अदालत को उपलब्ध […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 6, 2018 1:20 PM

पटना : मुजफ्फरपुर बालिका गृह की 34 लड़कियों से बलात्कार किये जाने के मामले की मॉनिटरिंग करने के लिए पटना हाइकोर्ट ने सोमवार को फैसला किया है. साथ ही हाईकोर्ट ने सीबीआई और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि मामले में अब तक की गयी कार्रवाई की पूरी रिपोर्ट दो सप्ताह में अदालत को उपलब्ध कराने को कहा है. मालूम हो कि राज्य सरकार ने पटना हाईकोर्ट से मामले की मॉनिटरिंग करने का अनुरोध किया था.
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट प्रशासन से कहा कि मामले की सुनवाई और ट्रायल के लिए विशेष न्यायालय के गठन की कार्रवाई शुरू करे, ताकि सभी अभियुक्तों के जमानत तथा अन्य मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष न्यायालय और न्यायाधीश की अदालत में ही हो सके. साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पीड़ित लड़कियों के पुनर्वास की योजना की पूरी जानकारी भी उपलब्ध कराने को कहा है.


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इन मामलों के बेल व अन्य चीजों की सुनवाई के लिए विशेष जज होंगे. कोर्ट इस मामले में 2 सप्ताह बाद फिर से सुनवाई करेगा. मालूम हो कि बिहार के इस हाइ प्रोफाइल केस की जांच सीबीआई कर रही है. गौरतलब हो कि विपक्ष ने इस कांड की जांच कोर्ट की मॉनिटरिंग में कराने की मांग कर रहा था. इस केस का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 10 लोग जेल में बंद हैं.

क्या है मामला
मुंबई की एक संस्था टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने राज्य सरकार को सोशल ऑडिट रिपोर्ट सौंपते हुए मुजफ्फरपुर बालिका गृह में यौन शोषण की बात कही. मामला उजागर होने के बाद बालिका गृह की लड़कियों की मेडिकल जांच करायी गयी. इनमें 34 लड़कियों से बलात्कार किये जाने का मामला उजागर होने के बाद मुजफ्फरपुर के महिला थाना ने प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच शुरू की. जांच और अनुसंधान में मिले साक्ष्यों के आधार पर 11 आरोपितों में से 10 आरोपितों को गिरफ्तार कर निचली अदालत में आरोपपत्र समर्पित कर दिया.
मामले को लेकर हाइकोर्ट में दो जनहित याचिकाएं भी दाखिल की गयीं. मामले को लेकर न सिर्फ बिहार विधानमंडल बल्कि संसद के दोनों सदनों में भी विपक्षी दलों ने हंगामा किया. इसके बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई से कराने जाने की सिफारिश कर दी. इसके बावजूद विपक्षी दलों ने जांच की मॉनिटरिंग हाईकोर्ट से कराये जाने की मांग उठायी. इसके बाद सरकार ने पटना हाईकोर्ट से जांच की मॉनिटरिंग किये जाने का अनुरोध किया.