सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक शैक्षणिक पदों की नियुक्ति पर रोक स्वागत योग्य : उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी

पटना : उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि विश्वविद्यालय के बजाय विभाग को इकाई मान कर शैक्षिक पदों पर नियुक्ति करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय से बड़ी संख्या में एससी/एसटी और ओबीसी के लोग आरक्षण के लाभ से वंचित हो रहे थे. उक्त फैसले को चुनौती देने के बाद सुप्रीम कोर्ट का […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 20, 2018 6:20 PM

पटना : उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि विश्वविद्यालय के बजाय विभाग को इकाई मान कर शैक्षिक पदों पर नियुक्ति करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय से बड़ी संख्या में एससी/एसटी और ओबीसी के लोग आरक्षण के लाभ से वंचित हो रहे थे. उक्त फैसले को चुनौती देने के बाद सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने तक नियुक्ति पर रोक लगाने का भारत सरकार का कदम स्वागतयोग्य है. वैसे इस रोक से बिहार प्रभावित नहीं हो रहा है क्योंकि यहां बीपीएससी द्वारा व्याख्याताओं की नियुक्ति पहले से ही विभाग की जगह विश्वविद्यालयों को इकाई मान कर की जा रही है. भारत सरकार के इस निर्णय से बिहार के हजारों छात्रों को अब लाभ मिलेगा. जो, केंद्रीय विश्विद्यालयों व दूसरे राज्यों में शैक्षिक पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन करेंगे.

सुशील मोदी ने कहा कि विभाग को नियुक्ति इकाई मानने से एससी/एसटी और ओबीसी के लोग बड़ी संख्या में आरक्षण के आधार पर नियुक्ति के लाभ से वंचित हो जायेंगे. जबकि भाजपा का मत है कि किसी भी कीमत पर एससी/एसटी और ओबीसी को शैक्षणिक पदों की बहाली में 50 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए.

विदित हो कि अप्रैल 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पूरे विश्वविद्यालय की रिक्तियों की जगह विभाग को इकाई मान कर बहाली का आदेश दिया. कोर्ट के इस फैसले से बड़ी संख्या में एससी/एसटी और ओबीसी के लोग नियुक्ति से वंचित हो रहे थे.

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उक्त फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिया है. केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेदकर ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों व यूजीसी से अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक नियुक्तियों पर रोक लगाने का सराहनीय निर्णय लिया है.

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