एक करोड़ युवाओं को हूनरमंद बनाने का लक्ष्य : सुशील मोदी

पटना : बिहार सरकार की ओर से ज्ञानभवन में आयोजित ‘विश्व युवा कौशल दिवस’ समारोह को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य प्रदेश के एक करोड़ युवाओं को हूनरमंद बनाना है. 15वें वित्त आयोग से आगामी 2020-25 के दौरान 40 लाख युवाओं के प्रषिक्षण के लिए 4,815 करोड़ […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 15, 2018 7:36 PM

पटना : बिहार सरकार की ओर से ज्ञानभवन में आयोजित ‘विश्व युवा कौशल दिवस’ समारोह को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य प्रदेश के एक करोड़ युवाओं को हूनरमंद बनाना है. 15वें वित्त आयोग से आगामी 2020-25 के दौरान 40 लाख युवाओं के प्रषिक्षण के लिए 4,815 करोड़ की मांग की जायेगी. राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि आईटीआई करने वाले छात्र मैट्रिक और इंटर की हिंदी और अंग्रेजी के एक-एक पेपर की परीक्षा देकर उत्तीर्ण हो जायेंगे तो उन्हें मैट्रिक व इंटर के समकक्ष की मान्यता मिल जायेगी.

यूरोप के विकसित देशों सहित अमेरिका, जापान आदि की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है. भारत व बिहार के युवाओं के पास अगर कौशल है तो उन्हें रोजगार की कमी नहीं है. 20वीं सदी में आईआईटी ने पूरेविश्व में अपनी पहचान बनायी अब 21वीं सदी में आईटीआई वालों को विश्वस्तर पर अपनी पहचान बनाना है. बिहार सरकार ने हर जिले में इंजीनियरिंग, पाॅलीटेक्नीक, जीएनएम स्कूल, पैरा मेडिकल संस्थान और महिला आईटीआई खोलने का निर्णय लिया है.

बिहार में कुशल युवा कार्यक्रम के तहत 1602 प्रशिक्षण केंद्र संचालित है जिसमें 3.63 लाख प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं तथा 91 हजार प्रशिक्षणरत हैं. युवाओं से अपेक्षा है कि वे दया की डिग्री वाले नहीं बल्कि स्वाभिमान व कौशलयुक्त नौजवान बने. गुजरात के लोग अगर रोजगार के लिए केन्या, इंगलैंड तथा पंजाब के लोग कनाडा, अमेरिका जा सकते हैं तो बिहार के युवा भी गुणवतापूर्ण प्रशिक्षण लेकर दुनिया के किसी भी देश में जाकर रोजगार पा सकते हैं. युवाओं से अपील की कि वे केवल नौकरी पाने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले भी बनें.

सुशील मोदी ने कहा कि भारत प्रगति के मामले में दुनिया के विकसित देशों से इसलिए थोड़ा पिछड़ गया कि हमने हाथ से काम करने वालों यानी श्रम को महत्व और प्रतिष्ठा नहीं दिया. अब तकनीक आधारित जमाना है. खाड़ी के 5 देशों में रोजगार के लिए जाने वालों की संख्या 2015 में जहां 7.58 लाख थी वहीं 2017 में घट कर मात्र 3.74 लाख रह गयी. अब वहां ब्लू काॅलर नहीं व्हाइट काॅलर लोगों यानी आईटी, कम्प्यूटर और तकनीक पर आधारित काम करने वालों की मांग है. बदलते जमाने व तकनीक के आधार पर गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण लेने वालों के लिए रोजगार की कोई कमी नहीं है.

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