अपनी मर्जी से शादी करनेवाले जोड़ों की रक्षा करेगी बिहार सरकार

सीनियर पुलिस अधिकारियों तक जवाबदेही तय पटना : अपनी मर्जी से शादी करने वाले जोड़ों और अविवाहित प्रेमी युगल की जिंदगी खतरे में नहीं पड़ेगी. खाप पंचायतें भी उनका उत्पीड़न नहीं कर पायेंगी. सरकार का तीन स्तरीय सुरक्षा चक्र उनकी सुरक्षा करेगा. 24 घंटे काम करने वाली हेल्पलाइन खुलेगी. स्पेशल सेल का गठन होगा. ऑनर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 4, 2018 8:42 AM
सीनियर पुलिस अधिकारियों तक जवाबदेही तय
पटना : अपनी मर्जी से शादी करने वाले जोड़ों और अविवाहित प्रेमी युगल की जिंदगी खतरे में नहीं पड़ेगी. खाप पंचायतें भी उनका उत्पीड़न नहीं कर पायेंगी. सरकार का तीन स्तरीय सुरक्षा चक्र उनकी सुरक्षा करेगा.
24 घंटे काम करने वाली हेल्पलाइन खुलेगी. स्पेशल सेल का गठन होगा. ऑनर किलिंग के सभी मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी. सीनियर पुलिस अधिकारियों तक जवाबदेही तय कर दी गयी है. आॅनर किलिंग और खाप पंचायतों की अवैध गतिविधियों को रोकने के
लिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को निरोधात्मक सुधारात्मक और दंडात्मक कार्रवाई करने के आदेश दिये हैं. बिहार सरकार ने इस पर अमल कर दिया है. गृह विभाग ने इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश दिये हैं.
सीआईडी चिह्नित कर रही स्थान
सरकार ने निरोधात्मक कदम के तहत सीआईडी को ऐसे स्थानों को चिह्नित करने को कहा है, जहां बीते पांच वर्षों में अॉनर किलिंग या खाप पंचायत की बैठक हुई है. अंतरजातीय या अंतर धर्म विवाह करने वालों और उनके परिवारों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संबंधित थानेदार की होगी.
एसपी-डीएसपी की जिम्मेदारी होगी कि वह खाप पंचायत न होने दें. इसमें वह सफल नहीं रहते तो पंचायत के दौरान माैजूद रहेंगे और ऐसा फैसला नहीं होने देंगे, जिससे प्रेमी जोड़े और परिवार को खतरा पैदा होता हो. बैठक की वीडियोग्राफी भी करानी होगी.
सुरक्षित स्थान पर भेजे जायेंगे जोड़े व उनके परिवार
अंतरजातीय या अंतर धर्म विवाह करने वाले की जान को खतरा होने पर एसपी की जिम्मेदारी होगी कि वे प्रभावी कानूनी कार्रवाई करें. जोड़े और उनके परिवार को जिले के अंदर अथवा जिले के बाहर सुरक्षित स्थान पर रखा जायेगा. इन सेफ हाउस का पर्यवेक्षण डीएम -एसपी करेंगे. ऑनर किलिंग और प्रेमी जोड़े के विरुद्ध हिंसा के मामलों को रोकने के लिए तीन सदस्यीय स्पेशल सेल बनेगा. घटना के बाद मामलों की सुनवाई नामित न्यायालय या फास्ट ट्रैक कोर्ट में प्रतिदिन होगी. छह माह में सुनवाई पूरी हो जायेगी.
सूचना मिलने के बाद भी यदि कहीं घटना होती है तो पुलिस पदाधिकारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी.