बिहार : नीतीश का प्रस्ताव, सिस्टर स्टेट के रूप में जुड़ेंगे जापानी प्रांत नारा व बोधगया, गवर्नर ने जतायी सहमति

जापान दौरा : नीतीश के प्रस्ताव पर नारा के गवर्नर ने जतायी सहमति बौद्ध स्थलों के आपसी संबंधों और जुड़ाव पर हुई चर्चा पटना : अपनी जापान यात्रा के तीसरे दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जापान के नारा प्रांत और बिहार के बोधगया को सिस्टर स्टेट के रूप में जोड़ने का प्रस्ताव दिया. इसका नारा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 22, 2018 8:31 AM
जापान दौरा : नीतीश के प्रस्ताव पर नारा के गवर्नर ने जतायी सहमति
बौद्ध स्थलों के आपसी संबंधों और जुड़ाव पर हुई चर्चा
पटना : अपनी जापान यात्रा के तीसरे दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जापान के नारा प्रांत और बिहार के बोधगया को सिस्टर स्टेट के रूप में जोड़ने का प्रस्ताव दिया. इसका नारा प्रांत के गवर्नर शोगो अरई ने समर्थन किया और अपनी सहमति जतायी. भारतीय दूतावास इसको मूर्तरूप देने में सहायता करेगा. दोनों नेताओं ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में दुनिया में बुद्ध की शिक्षा और दर्शन के महत्व के बारे में विस्तार से चर्चा की. नारा और बिहार विशेषकर राज्य के बौद्ध स्थलों के आपसी संबंधों और इनके आध्यात्मिक व वैचारिक जुड़ाव पर भी चर्चा की गयी.
नारा प्रांत के गवर्नर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दूरदर्शी नेतृत्व की तारीफ की. गवर्नर ने बिहार में किये जा रहे महत्वपूर्ण विकास कार्यों का उल्लेख भी किया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने टोडैजी मंदिर की यात्रा के लिए और नारा प्रांत में आमंत्रण के लिए वहां के गवर्नर का धन्यवाद किया. नारा प्रांत के गवर्नर ने मुख्यमंत्री के सम्मान में बुधवार दोपहर भोज का भी आयोजन किया.
मुख्यमंत्री की नारा प्रांत की यात्रा के दौरान जापान में भारत के राजदूत सुजान चिनॉय भी मौजूद थे.
हिरोशिमा का भी किया भ्रमण: सीएम नीतीश कुमार जापान में बुधवार को हिरोशिमा भी गये, जहां दूसरा विश्व युद्ध के दौरान छह अगस्त, 1945 को अमेरिकी वायु सेना ने परमाणु बम गिराया था. उन्होंने वहां पीस मेमोरियल म्यूजियम की विजिटर बुक में लिखा कि यह न केवल तकनीक की विनाशकारी क्षमता की याद दिलाता है, बल्कि मानवीय भावना और लचीलापन को भी प्रदर्शित करता है. उन्होंने महात्मा बुद्ध को कोट करते कहा कि ‘‘घृणा को घृणा से खत्म नहीं किया जा सकता, बल्कि प्यार से ही ऐसा हो सकता है. यह सनातन नियम है.’परस्पर आकर्षण और सम्मान से ही कोई दूसरे पर नियंत्रण रख सकता है, यह मानव सभ्यता की मार्गदर्शक शक्ति है. यह स्मारक शांति और सदभाव के प्रति जापानी लोगों की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है.

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