लड़के दिखाएं हिम्मत, दहेज को कहे ना : सुशील मोदी

पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने युवा पीढ़ी का आह्वान करते हुए आज कहा कि अगर लड़के हिम्मत दिखाये और दहेज लेने पर अभिभावकों का विरोध करें तो दहेज प्रथा खुद ही बंद हो जायेगी. एक हिंदी दैनिक अखबार की ओर से 21 दिवसीय अभियान दहेज को […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 12, 2017 9:55 PM

पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने युवा पीढ़ी का आह्वान करते हुए आज कहा कि अगर लड़के हिम्मत दिखाये और दहेज लेने पर अभिभावकों का विरोध करें तो दहेज प्रथा खुद ही बंद हो जायेगी.

एक हिंदी दैनिक अखबार की ओर से 21 दिवसीय अभियान दहेज को कहे ना के आज समापन समारोह को संबोधित करते हुए सुशील ने युवा पीढ़ी का आह्वान करते हुए कहा कि अगर लड़के हिम्मत दिखाये और कहे कि उनके अभिभावक दहेज लेंगे तो वे विद्रोह कर देंगे. उनके इस कदम से दहेज प्रथा बंद हो जायेगी. उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में भारतीय समाज में दहेज प्रथा नहीं थी. स्वयंवर के जरिए लड़कियां अपने लिए योग्य एवं सक्षम वर की तलाश करती थी. तिलक-दहेज एक अभिशाप है और धीरे-धीरे यह समाज के गरीब तबकों में तेजी से फैलता जा रहा है.

सुशील मोदी ने कहा कि युवा अपने आत्मसम्मान और गरिमा के लिए दहेज की भीख नहीं मांगे बल्कि खुद की क्षमता पर भरोसा करें. उन्होंने कहा कि लड़कियों को भी शिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाने की जरुरत है. करीब 2 हजार साल पहले एलेक्जेंडर महान के समय भारत आए मैगस्थनीज ने अपने यात्रा वृतांत में दहेज का कोई जिक्र नहीं किया है. यह बाद में सोच बनी कि जितना ज्यादा पैसा देंगे उतना ही अच्छा लड़का मिलेगा. स्वयंवर में सीता ने राम को चुना, तब कौन ताकतवर हैं, कौन सक्षम है, उसका चयन होता था. प्राचीन काल में कहीं कोई दहेज की प्रथा नहीं थी.

उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि दहेज प्रथा को आगे बढ़ाने में महिलाओं की भी बड़ी भूमिका है. दहेज के कारण ही आज लड़की पैदा होती है तो लोग मायूस हो जाते हैं और लड़कों के जन्म होने पर उन्हें लगता है कि सोने की खदान मिल गयी है. लड़कों को भी लगता है कि मुफ्त का माल और गाड़ी मिल रही है. उन्होंने कहा कि बिहार लोक नायक जयप्रकाश नारायण और क्रांति की धरती है. लड़के हिम्मत दिखाएं, आगे बढ़कर दहेज के खिलाफ विद्रोह करने का संकल्प लें.

सुशील मोदी ने कहा कि दहेज का कानून 1961 में बना. मगर, केवल कानून से इस सामाजिक बुराई को दूर नहीं किया जा सकता है. सामाजिक बुराई को जन अभियान से ही खत्म किया जा सकता है, जिनके घरों में शादी होती है वह हिम्मत के साथ एलान करें और निमंत्रण कार्ड पर लिखे कि इस शादी में कोई तिलक-दहेज नहीं लिया है.

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