आज के दिन ऐसे करें स्कंदमाता की आराधना, मिलेगी कष्ट से मुक्ति, मोक्ष का मार्ग सुलभ होगा

पटना : मां जग जननी के पवित्र दिवस में नवरात्रि का पांचवां दिन स्कंदमाता की आराधना,उपासना एवं अलौकिक तेज ग्रहण करने का दिन होता है.डॉ. श्रीपति त्रिपाठी कहते हैं कि देवीस्कंदमाता ही हिमालय की पुत्री पार्वती हैं,जिन्हें माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है. यह पर्वत राज की पुत्री होने की वजह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 25, 2017 10:12 AM

पटना : मां जग जननी के पवित्र दिवस में नवरात्रि का पांचवां दिन स्कंदमाता की आराधना,उपासना एवं अलौकिक तेज ग्रहण करने का दिन होता है.डॉ. श्रीपति त्रिपाठी कहते हैं कि देवीस्कंदमाता ही हिमालय की पुत्री पार्वती हैं,जिन्हें माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है. यह पर्वत राज की पुत्री होने की वजह से पार्वती कहलाती हैं, महादेव की वामिनी यानी पत्नी होने से माहेश्वरी कहलाती हैं और अपने गौर वर्ण के कारण देवी गौरी के नाम से पूजी जाती हैं. गोद में स्कंद यानी कार्तिकेय स्वामी को लेकर विराजित माता का यह स्वरूप जीवन में प्रेम, स्नेह, संवेदना को बनाये रखने की प्रेरणा देता है. भगवान स्कंद ‘कुमार कार्तिकेय’ नाम से भी जाने जाते हैं. पुराणों में स्कंद को कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है.

देवी स्कंदमाता की चार भुजायें हैं, जहां माता अपने दो हाथों में कमल का फूल धारण करती हैं और एक भुजा में भगवान स्कंद या कुमार कार्तिकेय को सहारा देकर अपनी गोद में लिये बैठी हैं जबकि मां का चौथा हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने की मुद्रा में होता है. मां स्‍कंदमाता की उपासना करने के लिए निम्‍न है. मां का वर्ण पूर्णत: शुभ्र है और कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं. इसी से इन्हें पद्मासना की देवी और विद्या वाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है. इनका वाहन भी सिंह है. स्कंदमाता सूर्य मंडल की अधिष्ठात्री देवी है. इनकी उपासना करने से साधक अलौकिक तेज की प्राप्ति करता है. यह अलौकिक प्रभा मंडल प्रतिक्षण उसके योगक्षेम का निर्वहन करता है. एकाग्रभाव से मन को पवित्र करके मां की स्तुति करने से दु:खों से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है.

स्कंदमाता की पूजा विधि-

कुण्डलिनी जागरण के उद्देश्य से जो साधक दुर्गा मां की उपासना कर रहे हैं उनके लिए दुर्गा पूजा का यह दिन विशुद्ध चक्र की साधना का होता है. इस चक्र का भेदन करने के लिए साधक को पहले मां की विधि सहित पूजा करनी चाहिए. पूजा के लिए कुश अथवा कंबल के पवित्र आसन पर बैठकर पूजा प्रक्रिया को उसी प्रकार से शुरू करना चाहिए जैसे आपने अब तक के चार दिनों में किया है फिर इस मंत्र से देवी की प्रार्थना करनी चाहिए सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया.शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी. नवरात्रि की पंचमी तिथि को कहीं कहीं भक्त जन उद्यंग ललिता का व्रत भी रखते हैं. इस व्रत को फलदायक कहा गया है. जो भक्त देवी स्कंद माता की भक्ति-भाव सहित पूजन करते हैं उसे देवी की कृपा प्राप्त होती है. देवी की कृपा से भक्त की मुराद पूरी होती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि रहती है. नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती पाठ किया जाता हैं. स्कंदमाता का मंत्र- सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया.शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी. या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता.नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:.

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