बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड का आदेश, अब महावीर मन्दिर न्यास देखेगी जल्ला मंदिर की प्रबन्धन व्यवस्था

बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के आदेश में कहा गया है कि महावीर मन्दिर के प्रबन्धन एवं आय-व्यय में काफी पारदर्शिता रहती है और यह संपूर्ण रूप से व्यवस्थित है. इसको ध्यान में रखते हुए एक वर्ष के लिए पटना जंक्शन स्थित महावीर मन्दिर के प्रबन्धन में प्राचीन जल्ला महावीर मन्दिर की व्यवस्था दी जाती है.

By Radheshyam Kushwaha | January 13, 2023 8:48 PM

पटना. बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड ने नया आदेश पारित किया है. 15 जनवरी से पटना सिटी के प्राचीन जल्ला महावीर मन्दिर का प्रबंधन व्यवस्था महावीर मन्दिर न्यास देखेगी. जल्ला महावीर मन्दिर का प्रबंधन की जिम्मेदारी पटना जंक्शन स्थित महावीर मन्दिर के जिम्मे कर दिया गया है. अब बेगमपुर स्थित प्राचीन जल्ला महावीर मन्दिर का प्रबन्धन की पूरी जिम्मेदारी पटना जंक्शन स्थित प्रसिद्ध महावीर मन्दिर की होगी. बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड ने इस संबंध में आदेश पारित किया है.

महावीर मंदिर के जिम्मे जल्ला मंदिर की पूरी व्यवस्था

बोर्ड के आदेश में कहा गया है कि महावीर मन्दिर के प्रबन्धन एवं आय-व्यय में काफी पारदर्शिता रहती है और यह संपूर्ण रूप से व्यवस्थित है. इसको ध्यान में रखते हुए एक वर्ष के लिए पटना जंक्शन स्थित महावीर मन्दिर के प्रबन्धन में प्राचीन जल्ला महावीर मन्दिर की व्यवस्था दी जाती है. महावीर मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि 15 जनवरी से जल्ला महावीर मन्दिर की प्रबंध व्यवस्था महावीर मन्दिर संभाल लेगा. उन्होंने बताया कि जिस प्रकार सुव्यवस्थित ढंग से महावीर मन्दिर का प्रबंधन किया जाता रहा है, उसी तरीके से पारदर्शिता और सुव्यवस्था के साथ जल्ला महावीर मन्दिर का संचालन किया जाएगा.

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जानें पूरा मामला

आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि उन्ही के सुपरविजन में प्राचीन जल्ला महावीर मन्दिर को शहर के कई लोगों के सहयोग से भव्य बनाया गया था. पुरानी समिति और स्थानीय लोगों में विवाद, आय-व्यय में गड़बड़ी पायी गयी. बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा पारित आदेश में प्राचीन जल्ला महावीर मन्दिर की न्यास समिति और स्थानीय लोगों के बीच विवाद का जिक्र किया गया है. आदेश में बताया गया है कि 2015 में गठित जल्ला महावीर मन्दिर की न्यास समिति ने वर्ष 2017 से 2019 तक की आय-व्यय विवरणी समय पर दाखिल नहीं की. फिर वर्ष 2019 से 2021 तक ऐसा ही हुआ. स्थानीय लोगों ने न्यास समिति पर कई तरह की अनियमितता की शिकायत की थी. धार्मिक न्यास बोर्ड की ओर से करायी गयी जांच में उन शिकायतों की पुष्टि हुई.

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