भगवान के साथ संबंध जोड़ने से सभी बंधनों से मिलती है मुक्ति : विशल्य सागर
जैन धर्मावलंबियों का 20 दिवसीय श्री सिद्धचक्र विधान संपन्न
नवादा कार्यालय. जैन धर्मावलंबियों की ओर से विश्वशांति व आत्म कल्याणार्थ आयोजित 10 दिवसीय 1008 श्री महासिद्धिकारक श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान व विश्वशांति महायज्ञ महोत्सव का परंपरागत धार्मिक माहौल में हर्षोल्लास के साथ समापन हो गया. दीपक जैन ने बताया कि प्रख्यात दिगम्बर जैन संत विशल्य सागर जी महाराज के परम पावन सानिध्य में बीते 10 मई से प्रारंभ इस अनुष्ठान के अंतिम दिवस पर श्रद्धालुओं ने यंत्राभिषेक, जिनाभिषेक व महाशांति धारा की. इसके बाद पूरे विधि-विधान व मंत्रोच्चार के साथ विश्वशांति महायज्ञ का आयोजन कर विश्वशांति एवं प्राणिमात्र के कल्याणार्थ जिनेंद्र प्रभु से मंगलकामना की गयी. इस दौरान महाशांति धारा करने का सौभाग्य मनोज कुमार, सुनील कुमार काला ने प्राप्त किया. जबकि बोली के माध्यम से पदम चंद काला को मंगल कलश, गूदड़ मल काला को जाप्य कलश, अजीत पांड्या को ध्वज कलश, दीपक जैन को ईशान कोण कलश, सुरेंद्र कुमार रवि कुमार पाटनी (गया) को अग्निकोण कलश, सुशील कुमार बोहरा (हजारीबाग) को नैसतत्य कोण कलश एवं प्रदीप सेठी को वामहब कोण कलश प्राप्त करने सौभाग्य मिला. मुनिश्री के परम पावन सानिध्य में विधानाचार्य मुकेश जैन शास्त्री व ब्रह्मचारिणी अलका बहन ने पूरे विधि-विधान एवं मंत्रों के भावार्थ के साथ इस दस दिवसीय अनुष्ठान को संपन्न कराया. वहीं, बतौर सहयोगी धर्मेंद्र जैन, अनिल भैया व रौशन जैन ने सराहनीय भूमिका निभायी. कोटा (राजस्थान) से आये भक्ति संगीत मंडली में शामिल गायक नवीन जैन, एवं वाद्ययंत्र वादक सुमित जैन, मुकेश मीत व मनीष मस्ताना की सुरतालबद्ध भक्तिमय प्रस्तुति पर श्रद्धालुओं ने भक्तिगंगा में खूब डुबकी लगायी. अनुष्ठान में दीपक जैन, अभय बड़जात्या, राजेश जैन, भीमराज गंगवाल, उदय बड़जात्या, अशोक कुमार जैन, अनिल गंगवाल, उत्सव पांड्या, भागचंद गंगवाल, मनोज जैन, विनोद काला, मनोज काला, विकास काला, नितेश गंगवाल, सुनील काला, निर्भय बड़जात्या, संतोष पांड्या, सुषमा जैन, लक्ष्मी जैन, सुनीता बड़जात्या, अल्पना पाटनी (गया), ममता काला, चंदा बड़जात्या, विनीता बड़जात्या, सुनीता जैन, स्विटी, सपना, वीणा काला, राजुल, रजनी, वीणा (हजारीबाग), सीमा, मिंटू, मंजू, आशा, रीता, श्रुति, श्रेया, अनिता, नीतू, गहना, वर्षा, राशि, मानसी, टुनकी व अनिशा सहित भारी संख्या में स्थानीय व निकटवर्ती जिलों के जैन धर्मावलंबी सक्रिय तौर पर शामिल थे. अनुष्ठान में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करने के क्रम में मुनि विशल्य सागर जी ने मंत्रों की महिमा सविस्तार व्याख्या करते हुए कहा कि मंत्रों की ध्वनि ने अंतर्मन एवं वातावरण में अद्भुत सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इनसे निकलने वाली सकारात्मक तरंगें रोग, शोक, ताप, संताप को प्रतिबंधित करने के साथ ही आंतरिक अंधकार का क्षय कर जीवन को प्रकाशमान बनाने में उत्कृष्ठ भूमिका निभाती है. उन्होंने कहा कि भगवान से हमें तभी ऊर्जा प्राप्त होगी, जब हम उनके साथ सीधा संबंध स्थापित करेंगे. उनके साथ संबंध बनाने से मानव के सारे बंध टूट जाते हैं, जिससे सिद्धत्व का मार्ग प्रशस्त होता है. उन्होंने सिद्धत्व को प्राप्त करने के लिए सिद्ध प्रभु की पूरे भक्ति भाव से आराधना करने का उपस्थित श्रद्धालुओं का आह्वान किया.
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