Bihar News: रजौली बनेगा दक्षिण बिहार का ‘सिक्योरिटी हब’, 44 एकड़ में बनेगा SISF कैंप
Bihar News: अधिकारियों के अनुसार, इतनी बड़ी और साफ सरकारी भूमि का उपलब्ध होना खुद में बड़ी बात है, जिस कारण एसआइएसएफ कैंप के लिए रजौली सबसे उपयुक्त स्थान बन गया.
मुख्य बातें
Bihar News: नवादा. आशुतोष कुमार. जिले के दक्षिणी सिरे पर स्थित रजौली अब सिर्फ एक प्रखंड नहीं, बल्कि राज्य का उभरता हुआ सुरक्षा-औद्योगिक केंद्र बनने की ओर अग्रसर है. जिला प्रशासन ने यहां 44 एकड़ सरकारी परती भूमि को बिहार राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल (एसआइएसएफ) की बटालियन के लिए उपयुक्त मानते हुए भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव राज्य गृह विभाग को भेज दिया है. यह कदम न सिर्फ सुरक्षा का विस्तार करेगा बल्कि पूरे क्षेत्र के व्यापक विकास की दिशा में नया अध्याय साबित होगा. सीओ, राजस्व कर्मचारी और अमीन की टीम ने जिस भूमि का निरीक्षण किया, उसमें मौजा रजौली, थाना संख्या 184, खाता संख्या 1603 के खेसरा 9112 व 9114 शामिल हैं.
रजौली सबसे उपयुक्त स्थान
निरीक्षण रिपोर्ट में जमीन को पूरी तरह साफ, विवादमुक्त, अतिक्रमणरहित और सरकारी रिकॉर्ड में ‘पुरानी परती’ के रूप में दर्ज पाया गया. टीम ने स्पष्ट किया कि इस भूमि पर किसी प्रकार का धार्मिक स्थल, स्मारक, नदी–नाला, पहाड़ी बाधा, जलनिकासी मार्ग, कब्रिस्तान, श्मशान या निजी दखल नहीं है. अधिकारियों के अनुसार, इतनी बड़ी और साफ सरकारी भूमि का उपलब्ध होना खुद में बड़ी बात है, जिस कारण एसआइएसएफ कैंप के लिए रजौली सबसे उपयुक्त स्थान बन गया.
रजौली को एसआइएसएफ कैंप की क्यों पड़ी जरूरत
रजौली और आसपास का पूरा बेल्ट नवादा-गया-जमुई सीमांत क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से संवेदनशील माना जाता रहा है. एनएच–20 से गुजरते भारी वाहनों की आवाजाही, झारखंड सीमा की निकटता, पहाड़ी और जंगल वाला भूगोल, खनिज क्षमता और प्रस्तावित औद्योगिक निवेश इन सभी कारणों से यहां एक विशेष सुरक्षा बल की तैनाती की आवश्यकतानुसार चर्चा लंबे समय से होती रही थी. अब सरकार ने इसे मूर्त रूप देने की ठोस पहल शुरू कर दी है.
कैंप बनने से क्या बदलेगा रजौली का भविष्य
- -औद्योगिक निवेश को मिलेगी सुरक्षा ढाल. एसआइएसएफ की मौजूदगी से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा. ऊर्जा परियोजनाएं, खनन गतिविधियां, ट्रांसपोर्ट हब और वेयरहाउसिंग जैसे क्षेत्र अब तेज गति से विकसित हो सकेंगे.
- -रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था में बड़ी उछाल. कैंप की स्थापना के दौरान भवन निर्माण, सप्लाइ, ट्रांसपोर्ट, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, बाजार और छोटे–मोटे कारोबार में स्थानीय लोगों को व्यापक रोजगार मिलेगा.
- -कैंप संचालित होने के बाद हजारों जवानों की आवाजाही से बाजारों में नयी आर्थिक हलचल आयेगी.
- -अपराध और नक्सली गतिविधियों पर कड़ी नकेल. दक्षिण बिहार के इस भू-भाग में एसआइएसएफ की मौजूदगी पुलिस बल को मजबूत करेगी. हाइवे सुरक्षा, औद्योगिक क्षेत्र की सुरक्षा और नक्सल प्रभावित इलाकों में निगरानी को नयी दिशा मिलेगी.
रजौली बनेगा मगध का सुरक्षा केंद्र
एसआइएसएफ की तैनाती के बाद रजौली वह पहला स्थान होगा, जहां से नवादा, गया, जमुई और झारखंड सीमा तक सुरक्षा प्रबंधन नियंत्रित हो सकेगा. इससे रजौली पूरे क्षेत्र के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण केंद्र बन जायेगा.
केंद्र के सीआइएसएफ के तर्ज पर बिहार में एसआइएसएफ
केंद्र सरकार की औद्योगिक इकाइयों को सुरक्षा प्रदान करने वाली सुरक्षा एजेंसी (सीआइएसएफ) के तर्ज पर बिहार सरकार के लिए एसआइएसएफ काम करेगा. केंद्र सरकार की यह सुरक्षा एजेंसी देश के प्रमुख एयरपोर्ट, धार्मिक व ऐतिहासिक स्थलों की सुरक्षा में वर्तमान समय में जुटी है. बिहार में यदि एसआइएसएफ की ट्रेनिंग व गठन की प्रक्रिया रजौली में शुरू होती है, तो निश्चित ही यह एक दूरगामी ओर लाभकारी प्रोजेक्ट के रूप में क्षेत्र के विकास में सहायक बनेगी.
अंतिम स्वीकृति का इंतजार, निर्माण जल्द शुरू होने की संभावना
अंचल प्रशासन ने विस्तृत रिपोर्ट गृह विभाग को भेज दी है. भूमि पर कोई कानूनी या तकनीकी बाधा नहीं मिली है. इसलिए माना जा रहा है कि प्रस्ताव पर स्वीकृति जल्द मिल सकती है. स्वीकृति मिलते ही 44 एकड़ में एसआइएसएफ कैंप का निर्माण शुरू होने की संभावना है. यह कदम नवादा जिले को सुरक्षा और औद्योगिक विकास दोनों मोर्चों पर नयी पहचान देगा.
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