बिहारशरीफ : वक्त की जरूरत है जल संरक्षण : राजेंद्र सिंह

बिहारशरीफ : टाउन हॉल में मंगलवार को पानी पंचायत कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास के द्वारा किया गया. पानी पंचायत का उद्घाटन राजेंद्र सिंह ने िकया. उन्होंने कहा कि कभी भारत की पहचान विश्व गुरु के रूप में था तो वह यहां की नीर, नारी और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 7, 2019 7:12 AM

बिहारशरीफ : टाउन हॉल में मंगलवार को पानी पंचायत कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास के द्वारा किया गया. पानी पंचायत का उद्घाटन राजेंद्र सिंह ने िकया. उन्होंने कहा कि कभी भारत की पहचान विश्व गुरु के रूप में था तो वह यहां की नीर, नारी और नदियों के सम्मान के वजह से थी.

यहां के लोग अपने ईश्वर को अच्छी तरह से समझते थे. पंचतत्व ही भारत का भगवान था. जब तक लोग प्रकृति से प्रेम करते थे और पंचायत का महत्व समझते थे तब तक भारत के लोग दुनिया को सीखाने योग्य थे. अब लोग सीखाने लायक की जगह दिखाने लायक बन गये हैं. जल संरक्षण महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि वक्त की जरूरत है.इसे सभी के सहयोग से सफल बनाया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि अभी भी देर नहीं हुई है. मृतप्राय होते जा रही प्रकृति की सुरक्षा कर हम दोबारा अपनी प्रतिष्ठा को प्राप्त कर सकते हैं. इसके लिये जल संकट से उबरने के लिए सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर व्यापक रूप से कार्य करना होगा. इसके लिये कुशल राजनीति बनाकर कार्य करने की जरूरत है.जल पुरुष के रूप में जाने जानेवाले राजेंद्र सिंह ने जल संकट तथा जल संरक्षण की व्यापक तैयारी पर चर्चा की.

उन्होंने कहा कि जल संकट से उबरने के दो ही रास्ते हैं. प्रथम तो प्रकृति से प्राप्त जल का संरक्षण तथा दूसरा जल की बर्बादी और प्रदूषण से रक्षा. इसके लिये जल प्रेमी तथा जल दूत जिला स्तर से प्रखंड तथा प्रखंड स्तर को पंचायत और गांव स्तर तक जाकर लोगों को जागरूक करें. पृथ्वी के गर्भ में पीने योग्य पानी की मात्रा सीमित है. यदि आज इसे बेरहमी से बर्बाद करेंगे तो कल पीने के लिए तड़पेंगे. इससे बचने के लिए पीने योग्य पानी के स्रोतों की सुरक्षा के साथ-साथ अधिक से अधिक पौधारोपण की जाये.

जल संरक्षण के कार्य को एक मुहिम के रूप में किया जाना चाहिए. इसके लिए जलसेवकों तथा जलदूतों को पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए. यदि पंचायत प्रतिनिधियों का समर्थन न भी मिले तो प्रशासन इसकी व्यवस्था सुनिश्चित कर अभियान को गति दे सकता है.