नम आंखों से फांसी स्थल को किया नमन, शहीद खुदीराम को दी श्रद्धांजलि

Tribute paid to martyr Khudiram

By Premanshu Shekhar | August 11, 2025 10:37 PM

दीपक 1 से 24 शहीद खुदीराम केंद्रीय कारा में मनाया गया खुदीराम बोस का बलिदान दिवस उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुऱ. रोशनी से चकाचौंध जले की दीवारें. रंग-बिरंगे बल्बों से सजा जेल का हर कोना. कानों में गूंजते एक बार विदाई दे मां धूरे आसी गीत, पर लोगों के चेहरे पर एक मायूसी़. बार-बार नमी होती आंखें, किसी अपने के खोने का गवाह थी. यह दृश्य सोमवार की सुबह का था. शहीद खुदीराम कारा देश की आजादी के लिये अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले अमर बलिदानी की गौरव गाथा कह रहा था. यही वह दिन था जब 1908 को आजादी आंदोलन में पहला बम धमाका करने वाले खुदीराम बोस को फांसी दी गयी थी़. यहां ऐसे बलिदानी को श्रद्धांजलि देने के लिये पुलिस, जेल और जिला प्रशासन की टीम के अलावा शहर के देशभक्तों की टोली मौजूद थी. सुबह 4.40 बजे लोगों का जत्था पहले खुदीराम बोस के सेल में पहुंचा. यहां बाहर हवन किया जा रहा था. लोगो ने शहीद के नाम धूप हवन में समर्पित किया़. इसके बाद सेल के अंदर खुदीराम बोस की मूर्ति पर लोगों ने माल्यार्पण कर बलिदानी को नमन किया. आयुक्त राजकुमार, डीआइजी चंदन कुशवाहा , डीएम सुब्रत कुमार सेन , एसएसपी सुशील कुमार, जेल अधीक्षक, जेलर सहित ने खुदीराम बोस की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी़. अंतिम रात वाली जगह पर भी दी गयी श्रद्धांजलि खुदीराम बोस को फांसी से पहले अंतिम रात को जिस कमरे में रखा गया था, उसके बाहर खुदीराम की मूर्ति लगी थी. वहां पर भी जाकर लोगों ने खुदीराम को श्रद्धांजलि दी़. इसके बाद कमरे मे जाकर खुदीराम बोस को नमन किया. इसके बाद खुदीराम बोस के फांसी स्थल पर श्रद्धांजलि दी गयी़ यहां खुदीराम की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया और जेल पुलिस से खुदीराम बोस को सलामी दी. फिर दो मिनट को मौन रखा गया. यहां खुदीराम बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर लोगों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी. जेल के अंदर शहीद को नमन करने के बाद जेल परिसर स्थित खुदीराम बोस की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण किया गया. मिदनापुर की मि्टी से किया पौधारोपण खुदीराम बोस को श्रद्धांजलि देने आये पं.बंगाल के जत्थे ने मिदनापुर की मिट्टी से फांसी स्थल पर पौधारोपण किया ओर वहा मिट्टी समर्पित की. प्रकाश हलधर ने मिदनापुर की मिट्टी के अलावा वहां की सिद्धेश्वरी काली मंदिर का चरणामृत भी खुदीराम बोस की प्रतिमा पर चढ़ाया. प्रकाश ने कहा कि वह 1995 से यहां हर साल श्रद्धांजलि देने आते हैँ. यहां आने से एक ऊर्जा मिलती है. ऐसा लगता है कि खुदीराम मुझे हमेशा देश के लिये कुछ करने को प्रेरित कर रहे हों. मिदनापुर से आये लेखक अरिंदम भौमिक ने कहा कि खुदीराम बोस मेरे प्रेरणास्रात हैं. उनके कारण ही लिखने की प्रेरणा मिली और लंबे रिसर्च के बाद उनपर पुस्तक लिखने का काम पूरा हुआ. इनके अलावा पं.बंगाल से आये अन्य पांच लोगों ने भी शहीद को नमन किया.

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