Muzaffarpur Litchi: अमेरिका और जापान के लोगों को पसंद आ रहा शाही लीची का शहद, मधु ग्राम प्रोड्यूसर कंपनी विदेशों में कर रही निर्यात

Muzaffarpur Litchi: अमेरिका और जापान में मुजफ्फरपुर के शाही लीची के शहद की डिमांड बढ़ गयी है. वहां के लोगों को मुजफ्फरपुर में उत्पादित शहद काफी पसंद आ रहा है. इस बार जिले में काफी मात्रा में शहद का उत्पादन हुआ है. मुजफ्फरपुर जिले की 1800 जीविका दीदियों ने अब तक 200 मीट्रिक टन शाही लीची के शहद की प्रोसेसिंग की है. मधु ग्राम प्रोड्यूसर कंपनी अब शहद की पैकेजिंग कर देश के विभिन्न प्रांतों के अलावा अमेरिका ओर जापान निर्यात कर रहा है.

By Radheshyam Kushwaha | May 5, 2025 4:48 PM

विनय कुमार/ Muzaffarpur Litchi: मुजफ्फरपुर में मुख्य रूप से शाही लीची की खेती की जाती है, जो अपने अनोखे स्वाद और क्वालिटी के लिए प्रसिद्ध है. मधुमक्खी पालन के लिये चार महीने पहले मधुमक्खी बोर्ड ओर लीची अनुसंधान की पहल पर दो हजार जीविका दीदियों को मधुमक्खी पालन का ट्रेनिंग दिया गया था, जिनमें 1800 जीवका दीदियों ने मधुमक्खी पालन किया. सभी को दस हजार मधुमक्खी के बक्से दिये गये थे. लीची के मंजर आने के साथ ही बागों में मधुमक्खी के बक्से लगाये गये. चार चक्र में एक बक्से से 16 किलो शहद निकाला गया. इस कार्य में जिले के 57 जीविका उत्पादक समूह जुड़े थे. शहद उत्पादन से जीविका का टर्न ओवर 1.80 करोड़ रहा.

दस से पंद्रह हजार रुपये तक दीदियों की आय

मधुमक्खी पालन से जीविका दीदियों की आय करीब दस से पंद्रह हजार रुपये हुई है. मधुमक्खी पालन से मौन पेटिका व अन्य उपकरण बनाने वाले छोटे उद्योगों को भी बढ़ावा मिलता है. स्वरोजगार एवं अतिरिक्त आय के लिये जीविका दीदियां अन्य रोजगार करते हुए भी मधुमक्खी पालन कर रही है. जिस तरह जीविका दीदियों मधुमक्खी पालन से जुड़ रही हैं, उससे अगले वर्ष शहद का उत्पादन दोगुना होने की उम्मीद है.

शहद उत्पादन में काफी वृद्धि

जीविका के गैर कृषि प्रबंधक विकास कुमार ने बताया कि शाही लीची के सीजन में चार बार शहद का उत्पादन होता है. एक बार एक बक्से से चार किलो शहद निकलता है. इस बार जीविका दीदियों की मेहनत से शहद उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है. हमलोग अब डिमांड के हिसाब से शहद की आपूर्ति कर रहे हैं. जीविका हनी और डाबर हनी के नाम से प्रोडक्ट देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों में भेजा जा रहा है.

Also Read: मुंगेर में बिना वेंटिलेटर के चल रहा सदर अस्पताल का आइसीयू, पीकू वार्ड में धूल फांक रहा करोड़ों का उपकरण