मुहर्रम का चांद नज़र आते ही शिया समुदाय में ग़म का माहौल

An atmosphere of sadness in the Shia community

By Vinay Kumar | June 26, 2025 8:49 PM

छतों पर लगाये गये काले झंडे, पुरुषों ने धारण किया काला लिबास उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर मुहर्रम का चांद नजर आते ही गुरुवार से शिया समुदाय के लोग इमाम हुसैन के गम में डूब गये. चांद रात से ही इमामबाड़ों और अजाखानों को सजा दिया गया है, शिया समुदाय ने घर की छतों पर काला झंडा लगाया. मुहर्रम का चांद निकलते ही इमाम हुसैन की याद मनाने का सिलसिला शुरू हो गया. शहर के कमरा, चंदवारा, ब्रह्मपुरा, कोल्हुआ, भगवानपुर, चैनपुर, भीखनपुर, खेमाइ पट्टी, हसन चक बंगरा, मोहम्मदपुर मुबारक, बड़ी कर्बला, जूरन छपरा के इमामबाड़ों और शिया समुदाय के घरों में मजलिस शुरू हो गयी. यह लगातार जारी रहेगा. छह जुलाई को यौमे आशूरा यानी दसवां मुहर्रम मनाया जायेगा. इस दिन लाेग अलम और ताजिया लेकर निकलेंगे. मिर्जा मुबारक नवाब के इमामबाड़ा मुकर्ररी में मजलिस खिताब करने आये मौलाना जैगम अब्बास ने बताया के इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को कर्बला के मैदान में दस मुहर्रम सन 61 हिजरी को तीन दिन तक भूखा और प्यासा शहीद कर दिया गया था. यजीदी फौज ने इमाम हुसैन के छह महीने के बच्चे को भी तीर मार कर शहीद किया था. उसी कुर्बानी की याद में हर साल मुहर्रम मनाया जाता है. उन्होंने बताया के शिया समुदाय में मुहर्रम का खास महत्व है. सभी लोग काला कपड़ा पहन कर इमाम हुसैन के गम मनाते हैं. दसवें दिन सबील हाजरी, नज़र फातेहा और तबर्रुक का एहतराम किया जाता है. शोक का सिलसिला दो महीना आठ दिन तक चलेगा.

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