AES : मुजफ्फरपुर में अत्याधुनिक अनुसंधान केंद्र के लिए उच्चस्तरीय टीम तैनात

नयी दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बिहार के मुजफ्फरपुर में संदिग्ध दिमागी बुखार से 103 बच्चों की मौत होने के मद्देनजर वहां पर अत्याधुनिक बहु विषयक अनुसंधान केंद्र बनाने के लिए तत्काल एक और उच्चस्तरीय टीम भेजने का निर्देश दिया है. हर्षवर्धन ने एक उच्चस्तरीय बैठक में स्थिति की समीक्षा की. इस बैठक […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 17, 2019 10:55 PM

नयी दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बिहार के मुजफ्फरपुर में संदिग्ध दिमागी बुखार से 103 बच्चों की मौत होने के मद्देनजर वहां पर अत्याधुनिक बहु विषयक अनुसंधान केंद्र बनाने के लिए तत्काल एक और उच्चस्तरीय टीम भेजने का निर्देश दिया है. हर्षवर्धन ने एक उच्चस्तरीय बैठक में स्थिति की समीक्षा की. इस बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) एवं एम्स के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया.

हर्षवर्धन ने बिहार में संदिग्ध ‘एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम’ (एईएस) से पीड़ित बच्चों के परिवारों से रविवार को मुलाकात की थी. बिहार में भी डॉक्टरों की हड़ताल ने मेडिकल और स्वास्थ्य सेवाओं को पंगु बना दिया है. हर्षवर्धन ने केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के संग एसकेएमसीएच अस्पताल का दौरा किया था.

हर्षवर्धन ने कहा कि बीमारी की वजह का पता लगाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली अंतर विषयक अनुसंधान टीम की तत्काल जरूरत है. अनुसंधान टीम दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चों के साथ काम करेगी और बीमारी का चक्र, पर्यावरण कारक और मेट्रोलॉजिकल डेटा समेत विभिन्न पहलुओं को देखेगी. अंतर विषयक टीम में दिल्ली के आईसीएमआर, बेंगलुरु के एनआईएमएचएएनएस, हैदराबाद के राष्ट्रीय पोषण संस्थान, पुणे के एनआईवी, चेन्नई के एनआईई और दिल्ली के एम्स के विशेषज्ञ शामिल होंगे.

हर्षवर्धन ने यह भी कहा कि राज्य में जिलों के विभिन्न हिस्सों में पांच वाइरोलॉजिकल लैब भी विकसित की जायेंगी. बयान में बताया गया है कि स्वास्थ्य मंत्री ने अपने दौरे के दौरान एसकेएमसीएच में 100 बेड का बाल चिकित्सा आईसीयू स्थापित करने का निर्देश दिया है. इसके अलावा आस-पास के जिलों में केंद्र की मदद से 10 बिस्तरों वाले बाल आईसीयू बनाए जाएंगे ताकि ऐसे मरीजों को बेहतर इलाज दिया जा सके तथा एसकेएमसीएच अस्पताल पर बिना वजह से दबाव नहीं पड़े.

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