वैशाली में डॉ रघुवंश व वीणा के बीच कांटे का मुकाबला, दोनों गठबंधन सामाजिक समीकरण को साधने में लगे

मुजफ्फरपुर : विश्व का पहला लोकतंत्र होने का गौरव प्राप्त वैशाली का भले ही संसदीय क्षेत्र अलग है, लेकिन यहां की राजनीति की धुरी मुजफ्फरपुर ही है. 1977 में वैशाली संसदीय क्षेत्र अस्तित्व में आया था. 1994 में लालू लहर जब उफान पर था उस जमाने में भी वहां के मतदाताओं ने सत्ता विरोध में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 10, 2019 7:36 AM
मुजफ्फरपुर : विश्व का पहला लोकतंत्र होने का गौरव प्राप्त वैशाली का भले ही संसदीय क्षेत्र अलग है, लेकिन यहां की राजनीति की धुरी मुजफ्फरपुर ही है. 1977 में वैशाली संसदीय क्षेत्र अस्तित्व में आया था. 1994 में लालू लहर जब उफान पर था उस जमाने में भी वहां के मतदाताओं ने सत्ता विरोध में जनादेश दिया था. वैशाली में हर लाेकसभा चुनाव में जातीय समीकरणों पर यहां के वोटर रोचक आंकड़े गढ़ते आये हैं.
इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वैशाली लोकसभा क्षेत्र के 12 चुनावों में से दस बार राजपूत प्रत्याशी, दो बार भूमिहार उम्मीदवार को इस क्षेत्र का नेतृत्व करने का अवसर मिला. इस बार वैशाली में राजद के कद्दावर नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह और लोजपा प्रत्याशी व पूर्व विधायक वीणा देवी के बीच कांटे का मुकाबला है.
मतदान 12 मई को होने वाला है. अंतिम समय में दोनों ही गठबंधनों ने जातीय गोलबंदी को अपने पक्ष में करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. जातीय छत्रपों को क्षेत्र में उतारा गया है. विजयी छपरा के जय किशुन सहनी एवं गणेश सहनी बांध पर बैठे आपस में बात कर रहे हैं. वोट की चर्चा करने पर बिफर पड़ते हैं. जय किशुन कहते हैं- क्या बताये साहब, बहुत विधायक व सांसद देख लिये. बांध वाला सड़क से आगे तक जाइए, विकास पता चल जायेगा. 15 साल में दो किलोमीटर सड़क नहीं बनी है.
खुलकर नहीं बोल रहे हैं वोटर
वाेटर पूरी तरह खुल कर तो नहीं बोल रहे हैं. लेकिन उनका मिजाज टटोलने से पता चलता है कि इस बार लोकल फैक्टर कमजोर पड़ रहा है. मोतीपुर के असवारी ठींकहा निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक रामचंद्र प्रसाद सिंह इशारे में कहते हैं कि स्थानीय मुद्दा पर वोट नहीं पड़ेगा. महिलाओं की बात करें तो वे पत्ता नहीं खोलना चाहती हैं. कांटी के मिठनसराय सोनियापुर के गिरिजा देवी को पता है कि 12 मई को वोट करना है. लेकिन तय नहीं कर पायी हैं कि वोट किसे देना है. कुरेदने पर सिर्फ इतना कहती हैं, जे हमरा सब के लेल काम करइछइ, ओकरा वोट देबई.
पांच बार जीत चुके हैं डॉ रघुवंश
राजद प्रत्याशी डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह वैशाली से पांच बार जीत दर्ज कर चुके हैं, लाजिमी है कि उनका पार्टी के अलावा अपना वोट बैंक भी है. लेकिन गौर करने वाली बात यह भी है कि लोजपा प्रत्याशी वीणा देवी के पति एमएलसी दिनेश सिंह पहले रघुवंश प्रसाद सिंह के चुनाव की व्यवस्था संभालते थे. वे रघुवंश सिंह के आधार वोट में सेंधमारी कर उनके चुनावी व्यूह रचना को भेदने का प्रयास करेंगे.