ऑनलाइन शिक्षा कितना कारगर विषय पर शिक्षकों ने रखे अपने विचार
जगजीवन राम श्रमिक महाविद्यालय (जेआरएस कॉलेज) में मंगलवार को 'ऑनलाइन शिक्षा कितना कारगर' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया
मुंगेर. जगजीवन राम श्रमिक महाविद्यालय (जेआरएस कॉलेज) में मंगलवार को ””””ऑनलाइन शिक्षा कितना कारगर”””” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. प्राचार्य प्रो देवराज सुमन ने की. संगोष्ठी में महाविद्यालय के विज्ञान और कला संकाय के प्राध्यापक/ सह प्राध्यापक और सहायक प्राध्यानक शामिल हुए तथा अपने-अपने विचारों को रखा. संचालन हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ शिवकुमार मंडल ने किया. प्राचार्य ने कहा कि नवंबर में होनेवाले विधानसभा चुनाव को लेकर महाविद्यालय में सुरक्षाकर्मियों की एक कंपनी को ठहराया गया है. ऐसे में विद्यार्थियों की शिक्षा प्रभावित न हो, इसके लिये उन्होंने आनलाइन कक्षाओं के संचालन पर जोर दिया. मुख्य अतिथि स्नातकोत्तर उर्दू विभागाध्यक्ष प्रो शाहिद रजा जमाल ने ऑनलाइन शिक्षण की खूबियाें और खामियों पर विचार रखे. साथ ही कहा कि डिजिटल उपकरणों की उपलब्धता नवाचार के लिए अति आवश्यक है. स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो भवेशचंद्र पांडेय ने ऑनलाइन शिक्षण को ””””आपदा में अवसर की तलाश”””” के रूप में प्रस्तुत किया. उन्होंने बताया कि ऑनलाइन शिक्षण उतना कारगर नहीं, जितना ऑफलाइन. भले ही ऑफलाइन शिक्षण में स्थान, समय का लिमिटेशन है, पर यह ज्यादा प्रभावी है. कम्युनिकेशन में दूरी का असर पड़ता है, इसलिए ऑनलाइन शिक्षा उतना इफेक्टिव नहीं है. गणित विभाग के शिक्षक प्रो अमर कुमार ने ऑनलाइन शिक्षण के लिए हाई स्पीड इंटरनेट डाटा की जरूरत, एक्सपर्ट शिक्षकों का व्याख्यान आदि पर जोर दिया. उन्होंने सरकार की मनसा पर भी प्रश्न-चिन्ह लगाया तथा बताया कि एआई के दौर में शिक्षकों को सचेत रहना आवश्यक है. यह शिक्षक वर्ग पर एक तरह का हमला भी है. उन्होंने एआई के बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया. पूजा कुमारी ने कहा कि बिहार में विशेषकर मुंगेर जिले की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. दूर- दराज के छात्र महाविद्यालय आ नहीं पाते, आवागमन की असुविधा है. ऐसे में ऑनलाइन शिक्षण बेहतर है. डॉ सबीहा नसरीन ने ऑनलाइन शिक्षण के साथ ऑफलाइन शिक्षण की आवश्यकता पर विचार रखे. उन्होंने बताया कि ऑनलाइन शिक्षण सर्वसुलभ है, लेकिन इसके नफा-नुकसान पर भी ध्यान रखना आवश्यक है. डिजिटल माध्यमों का सावधानी पूर्वक उपयोग ही लाभकारी हो सकता है. इस दौरान डॉ सबीहा नसरीन, डॉ वीरेंद्र मंडल, डॉ दीवान अकरम, डॉ अजय प्रकाश, राजा कुमार, डॉ जयंत कुमार, डॉ अमरेंद्र, डॉ राजेश कुमार सिंह, डॉ रंजन रवि, डॉ सागर सरकार और डॉ कमलेश पाल आदि ने अपने विचार रखे.
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