आचार्य कपिल का शिक्षा, साहित्य व समाज निर्माण में अहम योगदान : प्रो डीसी राय

आचार्य कपिल का शिक्षा, साहित्य व समाज निर्माण में अहम योगदान : प्रो डीसी राय

By RANA GAURI SHAN | December 21, 2025 10:52 PM

मुंगेर में आचार्य कपिल व्याख्यानमाला-2025 का आयोजन मुंगेर. आचार्य कपिल के जन्म जयंती के अवसर पर रविवार को आचार्य कपिल व्याख्यानमाला-2025 का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया. इस कार्यक्रम का मुख्य विषय उपेक्षित इतिहास की पुनर्स्थापना था. कार्यक्रम में प्रसिद्ध शिक्षाविद और भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के कुलपति प्रो डीसी राय मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. कार्यक्रम में 400 से अधिक प्राध्यापकों, शिक्षाविदों, समाजसेवियों और शोधार्थियों ने गूगल मीट और यूट्यूब के माध्यम से भाग लिया. कार्यक्रम की शुरुआत श्री कृष्ण सेवा सदन ट्रस्ट के सचिव प्रो प्रभात कुमार द्वारा अतिथियों का स्वागत करने से हुई. इस अवसर पर प्रो अजफ़र शम्सी ने आचार्य कपिल की स्मृति को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. प्रो शम्सी ने आचार्य कपिल के छात्र जीवन व समाज में उनके योगदान को सराहा. बताया कि आचार्य कपिल का दृष्टिकोण शिक्षा के वैचारिक आयाम से कहीं अधिक था. उनका मानना था कि शिक्षा केवल शिक्षक व कक्षा तक सीमित नहीं रहनी चाहिये, बल्कि इसे समाज के साथ जोड़कर उसे व्यापक और बहुआयामी दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिये. मुख्य अतिथि प्रो डीसी राय ने अपने संबोधन में आचार्य कपिल के योगदान की सराहना की. बताया कि आचार्य कपिल का शिक्षा, साहित्य व समाज निर्माण में अद्वितीय योगदान था. बिहार के प्रमुख शिक्षण संस्थानों व साहित्यिक संगठनों के सदस्य या अध्यक्ष के रूप में उनका योगदान आज भी याद किया जाता है. आरडी एंड डीजे कॉलेज, मुंगेर में 25 वर्षों तक प्राचार्य के रूप में सेवा देने के दौरान उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई अहम पहलुओं को सामने रखा. प्रो राय ने कहा कि आचार्य कपिल के नेतृत्व में कॉलेज में कई राष्ट्रीय स्तर के गणमान्य व्यक्तियों, समाजसेवकों व शिक्षाविदों का आगमन हुआ, जिससे छात्रों को नयी दिशा मिली. प्रो राय ने आगे कहा कि इतिहास लेखन में हमेशा सच्चे व विस्तृत इतिहास की उपेक्षा होती रही है. उपेक्षित इतिहास की पुनर्स्थापना बेहद जरूरी है, ताकि समाज व दुनिया को सही इतिहास से अवगत कराया जा सके. उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह के उस वक्तव्य का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि इतिहास लेखन में राष्ट्रवादियों को कौन रोकता है, सही इतिहास लिखना चाहिए. प्रो राय ने जोर देते हुए कहा कि इतिहास लेखन में जाति, धर्म, संप्रदाय, वर्ण व वर्ग के पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर सच्चे इतिहास को प्रस्तुत किया जाना चाहिये. कहा कि भारत में सौर ऊर्जा को कभी वैकल्पिक ऊर्जा के रूप में देखा गया, जबकि अगर इसे प्राथमिक ऊर्जा स्रोत के रूप में माना जाता तो भारत ऊर्जा आपूर्ति के क्षेत्र में बहुत आगे रहता व आज दुनिया का प्रमुख ऊर्जा निर्यातक देश होता. कार्यक्रम का समापन शोध छात्र निशांत निर्वाण ने धन्यवाद ज्ञापन से किया, जबकि ऑनलाइन मंच का संचालन प्रो विद्या कुमार चौधरी ने किया. इस व्याख्यानमाला ने आचार्य कपिल की शिक्षा व समाज निर्माण में उनके योगदान को पुनः उजागर किया. उपेक्षित इतिहास की पुनर्स्थापना की आवश्यकता को स्पष्ट रूप से सामने रखा.

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