मुंगेर विश्वविद्यालय : दावे हजार, नहीं दिख रहा अबतक कार्य
जमीन अधिग्रहण और पीजी विभागों में नियुक्ति का मामला तक अबतक विश्वविद्यालय की फाइलों से बाहर नही निकल पाया है.
– अबतक अधर में लटका है जमीन अधिग्रहण और पीजी विभागों में नियुक्ति का मामला
मुंगेरमुंगेर विश्वविद्यालय ने हाल के दिनों में भले ही अपने आधारभूत संचरनाओं के विकास के साथ शैक्षणिक कार्यों को सुदृढ़ करने के लिये कई बड़े दावे किये हो, लेकिन इन दावों के अनुरूप अबतक कार्य होता नहीं दिख रहा है. हाल यह है कि लगभग डेढ़ माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जहां सीबीसीएस के एईसी, भीएसी तथा एसईसी पाठ्यक्रमों के लिये प्रति कक्षा भुगतान के अनुरूप आवेदन आने के बाद शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पायी है. वही संविदा कर्मियों और अतिथि शिक्षकों को सेवा विस्तार का मामला अधर में लटका है. इतना ही नहीं जमीन अधिग्रहण और पीजी विभागों में नियुक्ति का मामला तक अबतक विश्वविद्यालय की फाइलों से बाहर नही निकल पाया है.
एईसी, भीएसी तथा एसईसी अबतक नहीं आये शिक्षक
विश्वविद्यालय द्वारा सीबीसीएस के तहत स्नातक सत्र के लिये एईसी, भीएसी तथा एसईसी पाठ्यक्रम में प्रति कक्षा भुगतान के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिये 20 अक्तूबर तक आवेदन लिया गया था. इसमें आवेदन करने वाले शिक्षकों से 500 रूपये का शुल्क भी लिया गया, लेकिन आवेदन प्रक्रिया समाप्त होने के दो माह बाद भी अबतक इन पाठ्यक्रमों के लिये प्रति कक्षा भुगतान के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति नहीं कर पायी है. यह हाल तब है, जब स्नातक के नये सत्र 2025-29 स्नातक सेमेस्टर-1 की कक्षाएं आरंभ हुये लगभग एक माह से अधिक हो चुका है. ऐसे में अबतक इन विषयों की शिक्षा विद्यार्थी कैसे हासिल कर रहे हैं. यह खुद विश्वविद्यालय ही समझ सकता है.
संविदा कर्मियों और अतिथि शिक्षकों को नहीं मिला सेवा विस्तार
एमयू व उसके कॉलेज अपने स्थापना काल से ही शिक्षकों और कर्मियों की कमी से जूझ रहा है. बावजूद जहां अक्तूबर माह में लगभग 60 संविदाकर्मियों का सेवाकाल समाप्त होने के बाद भी अबतक विश्वविद्यालय प्रशासन इन संविदाकर्मियों को सेवा विस्तार नहीं दे पाया है. वही एक दिसंबर को लगभग 80 अतिथि शिक्षकों का सेवाकाल भी समाप्त हो गया है, लेकिन विश्वविद्यालय इन अतिथि शिक्षकों को सेवा विस्तार देने के लिये कॉलेजों से सीसीआर तक नहीं मांग पाया है. जिसके कारण संविदाकर्मियों और अतिथि शिक्षकों के सेवाविस्तार का मामला अबतक अधर में लटका है.
अधर में लटका है जमीन अधिग्रहण और पीजी विभागों में नियुक्ति
एमयू के लिये जमीन चयनित होने के बाद भी जहां अबतक जमीन अधिग्रहण का मामला अटका है. वही सालों बाद वर्ष 2025 में पीजी विभागों के लिये पदों की स्वीकृति मिलने के बाद अबतक विश्वविद्यालय प्रबंधन इन पदों पर नियुक्ति नहीं कर पाया है. बता दें कि मार्च 2025 में दीक्षांत समारोह के दौरान कुलाधिपति सह राज्यपाल द्वारा एमयू के लिये जमीन चयनित होने की घोषणा की थी. जिसमें एमयू के लिये नौवागढ़ी मौजा में लगभग 20 एकड़ जमीन चिन्हित किया गया, लेकिन अबतक इस जमीन के लिये अधिग्रहण प्रक्रिया आरंभ नहीं हो पाया है. इतना ही नहीं एमयू को अपने 20 पीजी विभागों के लिये लगभग चार साल बाद 167 शिक्षक एवं कर्मियों के पदों की स्वीकृति अगस्त माह में ही मिल चुकी है, लेकिन 5 माह बाद भी अबतक एमयू अपने इन स्वीकृत पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति नहीं कर पाया है. जिसके कारण अबतक पीजी विभागोें का संचालन कॉलेजों में नियुक्त शिक्षकों के कंधों पर हैं. जिनके पास पीजी के साथ स्नातक के विद्यार्थियों के शिक्षा की भी जिम्मेदारी है.
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