फर्जी चालान पर करोड़ों रुपये गबन मामले में मुंगेर के तत्कालीन उत्पाद अधीक्षक के पेंशन राशि में 50 प्रतिशत की कटौती

विभागीय कार्यवाही को बिहार पेंशन नियमावली में संपरिवर्तित किया गया.

By BIRENDRA KUMAR SING | November 26, 2025 6:14 PM

– 14 करोड़ की राशि गबन मामले में की गयी है कार्रवाई

मुंगेर

फर्जी चालान के माध्यम से सरकारी राजस्व की क्षति पहुंचाने और सरकारी राजस्व का गबन करने का आरोप सही साबित होने पर मुंगेर के तात्कालिन उत्पाद अधीक्षक अश्विनी कुमार पर सेवानिवृति के उपरांत मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है. सरकार उनके पेंशन राशि में 50 प्रतिशत की कटौती कर दी गयी है. जो आजीवन के लिए प्रभाव में रहेंगा. सरकार के इस कार्रवाई से उस समय इस कांड में फंसे आधे दर्जन उत्पाद विभाग के कर्मियों में हड़कंप मच गया है.

मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के सरकार संयुक्त सचिव ने जो अधिसूचना जारी किया है. उसमें कहा गया कि मुंगेर के तत्कालीन मद्यनिषेध अधीक्षक अश्चिनी कुमार सेवानिवृत के विरुद्ध फर्जी चालान के माध्यम से सरकारी सरकारी पद का दुरुपयोग कर अनुज्ञप्तिधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाकर सरकार राजस्व का गबन करने का आरोप था. उनको बर्खास्त भी कर दिया गया था. लेकिन कोर्ट के निर्देश वे पुन: बहाल हुए. लेकिन अधीक्षक मद्यनिषेध मुंगेर केे पदस्थापन अवधि में उनके विरुद्ध प्रतिवेदित आरोपों के आलोक में विभागीय कार्रवाई पुन : 2019 में प्रारंभ की गयी. वर्ष 2022 में वे सेवानिवृत हो गये. जिसके बाद विभागीय कार्यवाही को बिहार पेंशन नियमावली में संपरिवर्तित किया गया. संचालन पदाधिकारी सह जांच आयुक्त ने अपने जांच प्रतिवेदन के निष्कर्ष में स्पष्ट किया कि आरोपित पदाधिकारी का कर्तव्य था कि अनुज्ञप्ति शुल्क के रूप में जमा राशि से संबंधित चालाने का बैंक स्क्राैल से मिलान करने के पश्चतात ही पारक निर्गत किया जाना चाहिए. लेकिन चालानों का भौतिक सत्यापन किये बिना ही पारक निर्गत किया गया. जिसके सरकार राजस्व की क्षति हुई. सुनवाई के दौरान आरोपित पदाधिकारी टालमटोल करते रहे. संचालन पदाधिकारी ने आरोपित पदाधिकारी के विरूद्व गठित तीनों आरोप क्रमश: कर्तव्य प्रति उदासीनता, फर्जी चालान के माध्यम से सरकारी राजस्व की क्षति पहुंचाना एवं निजी स्वास्थ्य के लिए पद का दुरुपयोग कर अनुज्ञप्तिधारियों को अनुचित लाभ पहुंचा कर सरकारी राजस्व का गबन करने का आरोप प्रमाणित किया गया.

अपने बचाव बयान में कईयों को उन्होंने घसीटा

अधिसूचना में उनके बचाव बयान का भी जिक्र किया गया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि अनुज्ञा शुल्क के रूप में जमा राशि से संबंधित चालानों को लाने के लिए उत्पाद सिपाही मो. जनकी इमान को प्रतिनियुक्त किया था. जो प्रधान लिपिक एवं निरीक्षक उत्पाद के संयुक्त समिति द्वारा जांच की जाती थी. इस संबंध में कार्यालय के पत्रांक 910, दिनांक 21 दिसंबर 2011 द्वाा चालान जांच से संबंधित पत्र निर्गत किया गया था. जिसके अनुपालन में निरीक्षक उत्पाद एवं प्रधान लिपिक के संयुक्त हस्ताक्षर से जांच प्रतिवेदन कार्यालय को समर्पित किया है. उनके द्वारा नियमित रूप से संबंधित चालानों का सत्यापन किया जाता तो चालान जमा करने में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं होती. किंतु उनके द्वारा लापरवाही बरती गयी. जिसके कारण 14 करोड़ रूपये की सरकारी राजस्व की क्षति हुई.

पेंशन राशि में 50 प्रतिशत की कटौती

संचालन पदाधिकारी सह जांच आयुक्त से प्राप्त जांच प्रतिवेदन,आरोपी पदाधिकारी से प्रापत बचाव बयान एवं बिहार लोक सेवा आयोग की सहमति के आलोक में कड़ी कार्रवाई की गयी. उनके विरुद्व कार्य के प्रति उदासीनता एवं लापरवाही के फलस्वरूप फर्जी चालान के माध्यम से सरकार राजस्व को क्षति पहुंचाने, प्रशासनिक क्षमता का अभाव होने, अधीनस्थ कर्मियों पर प्रभावकारी नियंत्रण का अभाव होने एवं निजी स्वार्थ के लिए पद का दुरुपयोग कर अनुज्ञप्तिधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाकर सरकारी राजस्व का गबन करने के आरोप के लिए पेंशन नियमावली के तहत पेंशन राशि में 50 प्रतिशत की कटौती की गयी. यह कटौती 10 वर्षो के लिए करने का दंड अधिरोपित एवं संसूचित करते हुए विभागीय कार्यवाही समाप्त कर दिया गया.

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क्या है पूरा मामला

उत्पाद विभाग के अधिकारियों एवं मुंगेर के लाइसेंसधारी शराब माफियाओं ने मिल कर एक बड़े घोटाले को अंजाम दिया था. एजी बिहार के रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2012-13 एवं 2013-14 के जांच में 7.77 करोड़ के जालसाजी का उजागर हुआ था. जो 14 करोड़ तक पहुंच गया था. जिसमें मुंगेर के अनुज्ञप्तिधारी मजीद अहमद, केके चौधरी, शंभु कुमार सोनी, एसके चौधरी, मनोज कुमार सोनी, दीपक कुमार, मंटू कुमार, सीएस मंडल, विनय यादव, कैलाश कुमार, ओमप्रकाश यादव, पिंकु कुमार, संजीव कुमार यादव, पंकज ठाकुर ने फर्जी चालान के आधार पर करोड़ों रुपये का घोटाला किया था. ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि फर्जी चालान के आधार पर शराब का उठाव होता रहा और विभाग के खाते में राशि जमा नहीं हुई. मजीद अहमद ने मई 2012 से दिसंबर 2012 तक जो चलान जमा किया वह पुरी तरह से फर्जी निकला था. इसके साथ ही शंभु सोनी जुलाई 2012 में 2 लाख के विरुद्ध मात्र 5 हजार का चलान जमा कर फर्जी उठाव कर लिया. यूं तो इस मामले में कोतवाली थाने में 1 मार्च 2014 को कांड संख्या 74/14 दर्ज है. किंतु अबतक मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है. उस मामले में उस समय मात्र 1.70 करोड़ का मामला पकड़ा गया था. जबकि यह राशि बढ़ कर अब 7.77 करोड़ पहुंच चुकी थी. जो लगातार बढ़ते चली गयी. विदित हो कि फरवरी 2014 के अंतिम सप्ताह में यह मामला उजागर हुआ था. तत्कालीन जिलाधिकारी नरेंद्र कुमार सिंह ने मामला का उद्भेदन किया था.

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