Madhubani News : सीएस की घोषणा की निकली हवा, छह माह बाद भी पीकू वार्ड संचालित नहीं
सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार ने पीकू वार्ड के संचालन की घोषणा की थी, लेकिन छह महीने बाद भी पीकू वार्ड का संचालन नहीं किया जा सका है.
मधुबनी. सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार ने पीकू वार्ड के संचालन की घोषणा की थी, लेकिन छह महीने बाद भी पीकू वार्ड का संचालन नहीं किया जा सका है. जबकि सदर अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. सदर अस्पताल सहित जिले के पांच जगहों पर लगाया गया ऑक्सीजन प्लांट भी स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण वर्षों से बंद है. जिला स्वास्थ्य प्रशासन अस्पताल का काम औचक निरीक्षण एवं चिकित्सकों व कर्मियों की हाजरी काटने तक ही सिमट कर रह गया है. ऐसे में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना केवल कागजों तक ही सीमित रह गया है. गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चों एवं किशोरों के बेहतर इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग ने लाखों रुपये की लागत से सदर अस्पताल सहित जिले के 12 स्वास्थ्य संस्थानों में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त 20-20 बेड के पीकू वार्ड का निर्माण कराया, लेकिन विडंबना यह है कि दो वर्ष बाद भी बीमार बच्चों को पीकू में मिलने वाली चिकित्सकीय सुविधा फिलहाल फिसड्डी साबित हो रही है. आलम यह है कि पीकू वार्ड का निर्माण पुर्ण होन के सालों बाद भी जब सदर अस्पताल का पीकू वार्ड ही संचालित नहीं हो पाया तो प्रखंडों की बात ही क्या कहना. पीकू वार्ड का निर्माण प्री-फैब से किया गया है. पीकू वार्ड के 10 बेड को आईसीयू से जोड़ा गया है. जबकि 10 बेड सामान्य है. अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस पीकू (पीडियाट्रिक इन्टेंसिव केयर यूनिट) वार्ड में 29 दिनों से लेकर 14 वर्षों तक के गंभीर बीमारी से पीड़ित किशोर- किशोरियों के इलाज की सभी चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी है, ताकि पीकू वार्ड में गंभीर बीमार बच्चों एवं किशोरों को इलाज के लिए जिले से बाहर जाने की जरूरत नहीं हो. आइसीयू की तर्ज पर वार्ड का निर्माण होने के बाद सदर अस्पताल से बच्चों को रेफर करने की समस्या से भी निजात मिलेगी. नवजातों के लिए एसएनसीयू है क्रियाशील सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में 0 से 28 दिन के बच्चों का इलाज किया जा रहा है. जबकि 29 दिन से ऊपर आयु के बच्चों को गंभीर स्थिति में रेफर कर दिया जाता है. ऐसे में परिजनों को अपने बच्चों को बेहतर इलाज के लिए निजी अस्पताल का रुख करना पड़ता है या फिर दूसरे जिले में जाना पड़ता है. सदर अस्पताल सहित 15 स्वास्थ्य केंद्र में बनाया गया है पीकू वार्ड सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार ने कहा कि पीकू वार्ड का निर्माण सदर अस्पताल सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मधवापुर, बासोपट्टी, बाबूबरही, लदनियां, लौकही, खुटौना, बिस्फी, खजौली ट्रामा सेंटर अररिया संग्राम, कलुआही, अंधराठाढ़ी एवं लखनौर में किया गया है. पीकू वार्ड बच्चों के लिए आइसीयू के रूप में तैयार किया गया है. अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस पीकू वार्ड में गंभीर रूप से बीमार बच्चों के जीवन की रक्षा हो सकेगा. क्या है पीकू (गहन बाल चिकित्सा वार्ड) सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. डीके झा ने कहा कि पीडियाट्रिक्स इंटेसिव केयर यूनिट में 29 दिन के बच्चों से लेकर 14 साल के बीमार किशोर को भर्ती किया जाता है. इसे गहन बाल चिकित्सा वार्ड भी कहा जाता है. पीकू में इमरजेंसी जांच से जुड़े सभी संसाधन उपलब्ध होता है. जिसमें वेंटिलेटर, ऑक्सीजन आदि शामिल हैं. इसके अलावा विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम की तैनाती रहती है. इसके अलावा रेडियेंट वार्मर, ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर, इन्फ्यूजन पंप, मल्टीपैरामीटर मॉनिटर, पल्स ऑक्सीमीटर, लेरिंगोस्कोप सहित एक दर्जन से ज्यादा जीवन रक्षक उपकरण लगाए जाते हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
