पथुआ दोहरे हत्याकांड मामले में पूर्व मुखिया मोहन भगत को आजीवन कारावास

पिपरिया थाना क्षेत्र के पथुआ गांव में विगत 18 नवंबर 2010 को हुए दोहरे हत्याकांड मामले में पिपरिया पंचायत के पूर्व मुखिया मोहन भगत को बुधवार को भादवि की धारा 302 एवं 364 में सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है

By Prabhat Khabar Print | May 22, 2024 3:04 PM

लखीसराय. जिले के पिपरिया थाना क्षेत्र के पथुआ गांव में विगत 18 नवंबर 2010 को हुए दोहरे हत्याकांड मामले में पिपरिया पंचायत के पूर्व मुखिया मोहन भगत को बुधवार को भादवि की धारा 302 एवं 364 में सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय राजीव मिश्रा के कोर्ट के द्वारा सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाये जाने के साथ ही दोनों धाराओं में 20-20 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. अर्थदंड नहीं दिये जाने पर पांच वर्ष अतिरिक्त सजा का प्रावधान रखा गया है. इस संबंध में जानकारी देते हुए अभियोजन पक्ष से बहस में शामिल रहे अपर लोक अभियोजक राम विलास शर्मा ने बताया कि दिनांक 22 नवंबर 2010 को स्व शंकर सिंह के पुत्र कृष्ण कुमार उर्फ कन्हैया ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी लखीसराय के न्यायालय में परिवाद संख्या 670 सी/2010 दाखिल कर पथुआ निवासी लोचन भगत के पुत्र मोहन भगत समेत कुल 26 व्यक्तियों सहित 200 से 250 अज्ञात पर आरोप लगाया था कि दिनांक 18 नवंबर 2010 की सुबह आठ बजे उनके पिता शंकर सिंह और अरविंद उर्फ खटानंद सिंह अपने मालिक सह पूर्व विधायक कृष्णचंद्र सिंह के पथुआ स्थित खेत जोतने ट्रैक्टर से गये थे. जिस दौरान मोहन भगत और नामित 26 व्यक्तियों ने 200-250 लोगों के साथ नाजायज मजमा बनाकर हरवे हथियार से लैस होकर शंकर सिंह और खटानंद सिंह को कब्जे मे लेकर हत्या कर शव को गायब कर दिया. आरोप की गंभीरता पर न्यायालय ने पिपरिया थाना को मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई का आदेश दिया था. जिस पर पिपरिया थाना में 25 नवंबर 2010 को कांड संख्या 50/10 अंकित किया गया और जांचोपरांत मोहन भगत के विरूद्ध आरोप पत्र न्यायालय में समर्पित किया गया. जिसका विचारण सत्र वाद संख्या 385/13 के रूप में हुआ. विचारण के दौरान मृतक की विधवा, पुत्र, घटना का चश्मदीद साक्षी ने न्यायालय में साक्ष्य दिया. जिसके आधार पर बुधवार को मुख्य अभियुक्त सह पूर्व मुखिया मोहन भगत को सजा सुनायी गयी. 14 वर्ष वाद मृतक परिवार को न्याय मिला. एपीपी श्री शर्मा ने बताया कि सजा सुनाये जाने के साथ ही न्यायालय ने मृतक की विधवाओं को राहत राशि के लिए जिला विधिक प्राधिकार को लिखा गया है. अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक रामविलास शर्मा और बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता जयशंकर प्रसाद ने बहस किया. श्री शर्मा ने बताया कि न्यायालय में बहस के दौरान दोनों पक्षों से पटना उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ताओं ने बहस में हिस्सा लिया.

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