नगर का पानी बना किसानों के लिए आफत, बड़हिया में जलजमाव पर फूटा आक्रोश
नगर परिषद क्षेत्र से निकलने वाले उपयोग किये गये पानी की अव्यवस्थित जलनिकासी व्यवस्था ने बड़हिया के किसानों की परेशानी को गंभीर संकट में बदल दिया है
बड़हिया. नगर परिषद क्षेत्र से निकलने वाले उपयोग किये गये पानी की अव्यवस्थित जलनिकासी व्यवस्था ने बड़हिया के किसानों की परेशानी को गंभीर संकट में बदल दिया है. स्थिति यह है कि नगर के पश्चिमी हिस्से में स्थित सैकड़ों एकड़ उपजाऊ कृषि भूमि महीनों से जलजमाव की चपेट में है. खेतों में लगातार भरे पानी ने न सिर्फ खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि आगामी रबी फसल की तैयारी पर भी संकट खड़ा कर दिया है. किसानों में इस बात को लेकर गहरा आक्रोश है कि प्रशासनिक स्तर पर निरीक्षण और आश्वासन के बावजूद अब तक कोई स्थायी समाधान धरातल पर नहीं उतर सका है. करीब एक माह पूर्व नगर परिषद सभापति प्रतिनिधि और डीएम द्वारा प्रभावित इलाकों का स्थलीय निरीक्षण किया गया था. उस दौरान जलनिकासी की समस्या को गंभीर मानते हुए शीघ्र समाधान का भरोसा दिलाया गया था, लेकिन समय बीतने के साथ किसानों की उम्मीदें टूटती जा रही हैं. नगर क्षेत्र से अनियंत्रित रूप से निकल रहा नल-जल, घरेलू उपयोग और अन्य स्रोतों का पानी प्राकृतिक निकासी मार्गों के अभाव में सीधे खेतों में फैल रहा है. इससे खेत तालाब में तब्दील हो गये हैं और किसान बेबस नजर आ रहे हैं. किसानों का कहना है कि उन्होंने अपने स्तर से हरसंभव प्रयास किया. खेतों की मेढ़ ऊंची की गयी, अस्थायी बांध बनाये गये और जल प्रवाह को रोकने की कोशिश की गयी, लेकिन नगर परिषद क्षेत्र से लगातार आ रहे वेस्टेज जल के आगे ये सारे उपाय विफल साबित हुए. लगातार जलभराव से मिट्टी की उर्वरता प्रभावित हो रही है, बीज सड़ रहे हैं और पहले से बोई गयी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं, इससे किसानों को लाखों रुपये के नुकसान का अनुमान है.
विरोध में उठाया सख्त कदम
समस्या से त्रस्त किसानों का सब्र सोमवार को जवाब दे गया. दर्जनों किसान नगर के मुख्य एनएच-80 किनारे नागवती स्थान के समीप एकत्र हुए और नगर परिषद क्षेत्र से निकलने वाले मुख्य जलनिकासी मार्ग को बालू भरे बैग लगाकर अवरूद्ध कर दिया. किसानों का कहना था कि जब तक उनका दर्द नहीं समझा जायेगा, तब तक वे नगर का पानी खेतों में बहने नहीं देंगे. जलनिकासी मार्ग बंद होने का असर तुरंत नगर क्षेत्र में दिखाई देने लगा. विभिन्न वार्डों में नल-जल योजना से निकलने वाला पानी सड़कों और मोहल्लों में फैल गया. कई स्थानों पर घरों में पानी घुसने लगा, जिससे आम लोगों और राहगीरों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी. हालात बिगड़ते देख नगर प्रशासन सक्रिय हुआ और पंपिंग सेट के जरिये पानी को नगर के पूर्वी छोर स्थित गंगतिरी की ओर गिराने की वैकल्पिक व्यवस्था शुरू करायी, इससे नगर क्षेत्र में तो आंशिक राहत मिली, लेकिन किसानों की समस्या ज्यों की त्यों बनी रही. प्रभावित किसानों का कहना है कि समस्या की जड़ वर्षों पुरानी है. पारंपरिक जलनिकासी नाले और प्राकृतिक जल स्रोत या तो अतिक्रमण की भेंट चढ़ गये हैं या फिर नये निर्माण कार्यों में पूरी तरह नष्ट कर दिये गये हैं. जल प्रवाह की प्राकृतिक दिशा बदलने से अब सारा पानी खेतों की ओर मुड़ गया है. किसानों का यह भी आरोप है कि हर घर नल-जल योजना और बढ़ती समरसेबल व्यवस्था से पानी की बर्बादी बढ़ी है, जिसकी कोई निगरानी नहीं हो रही है. किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि जल स्रोतों से अतिक्रमण हटाया जाय, पुराने नालों और प्राकृतिक निकासी मार्गों को पुनर्जीवित किया जाय तथा वैज्ञानिक तरीके से स्थायी जलनिकासी योजना लागू की जायडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
