फाइलेरिया उन्मूलन के लिए नाइट ब्लड सर्वे के लिए एलटी व सीएचओ को दिया गया प्रशिक्षण

फाइलेरिया के परजीवी जिसे माइक्रो फिलेरिया कहते हैं. ये परजीवी सिर्फ रात में ही रक्त में सक्रिय होते हैं.

By RAJKISHORE SINGH | September 10, 2025 8:51 PM

प्रशिक्षण में सभी प्राथमिक स्वास्थ्य संस्थान से दो-दो एलटी व सीएचओ हुए शामिल खगड़िया. जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए नाइट ब्लड सर्वे के लिए सिविल-सर्जन सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. प्रशिक्षण में सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से एचएम, भीबीडीएस, बीसीएम के दो-दो एलटी एवं सीएचओ शामिल हुए. प्रशिक्षण सिविल सर्जन की अध्यक्षता में संपन्न कराया गया. जिसमें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. विजय कुमार, जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार बबलू कुमार सहनी एवं पिरामल के पीएलसीडी करण कुमार द्वारा प्रशिक्षण दिया गया. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. विजय कुमार ने कहा कि नाइट ब्लड सर्वे एक ऐसा सर्वेक्षण है जो फाइलेरिया नामक बीमारी की जांच के लिए किया जाता है. यह सर्वेक्षण रात में 8.30 के पश्चात ही किया जाता है, क्योंकि फाइलेरिया के परजीवी जिसे माइक्रो फिलेरिया कहते हैं. ये परजीवी सिर्फ रात में ही रक्त में सक्रिय होते हैं. इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य यह जानना है कि किसी भी क्षेत्र में फाइलेरिया से संक्रमित लोगों की संख्या कितनी है. उन्होंने बताया कि यह सर्वेक्षण फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. जो सुनिश्चित करता है कि बीमारी से प्रभावित लोगों की पहचान की जाय. उन्हें समय पर उपचार प्रदान किया जाय. जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार बबलू सहनी ने बताया कि फाइलेरिया रोग मादा संक्रमित क्यूलेस मच्छर के काटने से फैलता है. फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है. आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है. अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है. फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) से ग्रसित लोगों को अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है. पिरामल के पीएलसीडी करण कुमार नाइट ब्लड सर्वे के महत्ता पर बल देते हुए सभी एलटी एवं सीएचओ को बताया की नाइट ब्लड सर्वे फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम का आधार माना जाता है, सभी सेंटिनल और रेंडम स्थल पर एनबीएस प्रारंभ होने के पूर्व संबंधित प्रखंड विकास पदाधिकारी, थाना प्रभारी, मुखिया, सरपंच, जीविका, आशा, आंगनबाड़ी सेविका इत्यादि बैठक कर व्यापक प्रचार-प्रसार कराना सुनिश्चित करेंगे. ताकि रात में रक्त पट्ट संग्रह करने में कठिनाई ना हो. सभी स्थल पर 20 वर्ष की आयु वर्ग के सभी लोगों का रक्तपट संग्रह करना है. जिसमें कुल 300 स्लाइड संग्रह किया जाना है. पिरामल के पीएलसीडी करण कुमार नाइट ब्लड सर्वे के महत्ता पर बल देते हुए सभी एलटी एवं सीएचओ को बताया कि नाइट ब्लड सर्वे फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम का आधार माना जाता है.

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