सत्संगी जीवन को उजाला देने वाला दिव्या अवसर होता है

सत्संगी जीवन को उजाला देने वाला दिव्या अवसर होता है

By RAJKISHOR K | December 20, 2025 7:39 PM

समेली महर्षि संतसेवी परमहंस जी महाराज की 106वीं जयंती हर्षोल्लास के साथ संतमत सत्संग मंदिर खैरा में मनायी गयी. महर्षि संतसेवी परमहंस जी महाराज के जीवन व्यक्तित्व पर व्याख्यान की गयी. महर्षि संतसेवी परमहंस जी महाराज का आविर्भाव मधेपुरा जिला के गमहरिया गांव में हुआ था. इनकी पुण्यवती माता का नाम राधादेवी थी. उनके पिता का नाम बलदेव दास जी थे. 19 वर्ष की अवस्था में उन्होंने सदगुरू महर्षि मेही परमहंस जी महाराज से 1939 में सैदाबाद में दीक्षा लिया. कुछ दिन घर पर रहकर सत्संग की अभ्यास किया एवं 1946 ईस्वी में आजीवन गुरुदेव की सेवा में रहकर अपने जीवन को सफल बनाया. 4 जून 2007 में सोमवार को पूज्य स्वामी महर्षि संतसेवी परमहंस जी महाराज अपना पार्थिव शरीर त्याग कर ब्रम्हलीन हो गये. पूज्य महर्षि संतसेवी परमहंस जी महाराज,संत सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के अनन्य अंतरंग शिष्य, तप, त्याग, साधना और गुरुभक्ति की जीवंत प्रतिमूर्ति, उनका संपूर्ण जीवन संतमत की सेवा, आत्मशुद्धि और ईश्वर-प्राप्ति के मार्ग का दिव्य संदेश देता है. उनकी पावन सभी संतमत-सत्संग आश्रम में धूमधाम से मनाया मनाया गया. विशाल भंडारा का भी आयोजन हुआ. संतमत श्रद्धालुओं ने सम्मिलित होकर सत्संग एवं प्रवचन से लाभ उठाया. सत्संग वह प्रकाश है, जो जीवन के अंधकार को चीरकर सत्य का मार्ग दिखाता है. संतों ने कहा है जो सत्संग की शरण में आया, उसने सचमुच जीवन का अमृत पा लिया. परमाराध्य सद्गुरुदेव की कृपा से ही सत्संग का सौभाग्य मिलता है. सत्संग जीवन को उजाला देने वाला दिव्य अवसर होता है. इस ज्ञान यज्ञ में चंद्रकिशोर बाबा, आनंदी मंडल, संजय कुमार यादव, देवनारायण सहनी, जिला पार्षद प्रतिनिधि रोशन मंडल, मोहनलाल पंडित, कृष्णदेव कुमार साह, निरंजन कुमार, कुसुमलाल मंडल आदि सत्संग प्रेमी ने भागीदारी रही.

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