राष्ट्रीय खेल दिवस: संसाधनों के अभाव में दम तोड़ रही खेल प्रतिभा

राष्ट्रीय खेल दिवस: संसाधनों के अभाव में दम तोड़ रही खेल प्रतिभा

By RAJKISHOR K | August 28, 2025 7:02 PM

– कई खिलाड़ी अपने बलबूते प्रेक्टिस कर हासिल करते हैं मुकाम कटिहार हर वर्ष 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है. खेल सम्मान समारोह व अन्य खेल गतिविधियों का आयोजन होता है. कटिहार जिले में राष्ट्रीय खेल दिवस पर किसी तरह का आयोजन को लेकर कोई सूचना नहीं है. इस जिले में कई खेल संघ अभी भी सक्रिय है. प्रशासनिक महकमा की ओर से भी सरकारी दिशा निर्देश के आलोक में खेल गतिविधियों का आयोजन होता रहा है. राष्ट्रीय खेल दिवस को केंद्र में रखकर प्रभात खबर ने कटिहार जिले के खेल प्रतिभाओं तथा खेल गतिविधियों को लेकर पड़ताल की. पड़ताल में यह बात सामने आयी है कि कटिहार जिले में खेल प्रतिभा के विकास को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की गयी है. न तो इनडोर और आउटडोर बेहतर स्टेडियम कटिहार में है और न ही खिलाड़ियों के लिए किसी तरह की कोचिंग की व्यवस्था है. खिलाड़ी अपने बलबूते अलग-अलग प्रतिस्पर्धा में सफल जरूर हो रहे है. पर खेल प्रतिभा में और निखार लाने के लिए विभिन्न तरह के संसाधन की उपलब्धता जरूरी है. शहरी क्षेत्र में कुछ स्टेडियम व मैदान जरूर है. पर वह अलग अलग खेल प्रतिस्पर्धा के अनुकूल नहीं है. कुछ स्टेडियम व खेल मैदान का तो व्यवसायिक प्रयोग भी दूसरे कामों के लिए किया जाता है. जिले के खिलाड़ी राज्य, राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है. जानकारों की माने तो कटिहार में खेल प्रतिभा की कमी नहीं है. पर उसे बेहतर अवसर व संसाधन नहीं मिल पाता है. जिसकी वजह से खेल प्रतिभा को असली मुकाम नहीं मिल पाता है. खेल संसाधनों का है घोर अभाव शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के खेल प्रतिभाओं को निखारने तथा उसे बढ़ावा देने के लिए जरूरी खेल सुविधाओं का घोर अभाव है. मसलन खेल का उपयुक्त मैदान कटिहार जिले में नहीं है. शहरी क्षेत्र में राजेंद्र स्टेडियम, महेश्वरी एकेडमी, डीएस कॉलेज का मैदान, श्रम कल्याण केंद्र का मैदान आदि कुछ जगह है. स्थानीय खेल जानकार बताते हैं कि शहरी क्षेत्र के यह मैदान विभिन्न खेल प्रतिस्पर्धा के लिए उपयुक्त नहीं है. साथ ही खेल उपकरण का भी घोर अभाव है. खेल उपकरण नहीं होने की वजह से खिलाड़ी बेहतर प्रेक्टिस नहीं कर पाते है. यह अलग बात है कि कुछ खिलाड़ी खेल संघों व अपने बदौलत खेल के क्षेत्र में आगे जरूर बढ़ रहे है. पर सरकार व जनप्रतिनिधि इस मामले में पूरी तरह उदासीन है. स्थानीय खेल के जानकार यह भी बताते हैं कि राज्य सरकार की ओर से जब खेल कैलेंडर जारी होता है. तब उसे किसी तरह निपटाया जाता है. नियमित रूप से खेल को बढ़ावा देने के लिए प्रेक्टिस तथा खेल गतिविधियां हो. इस तरह के आयोजन की व्यवस्था नहीं है. कई खेल विधा विलुप्त होने के कगार पर सरकार व जनप्रतिनिधि की उदासीनता की वजह से जिले के कई परंपरागत खेल विलुप्त होने के कगार पर है. जिले में फुटबॉल खेल अभी आदिवासी समुदाय की वजह से बची हुई है. इसी समुदाय के बीच अभी यह खेल का आयोजन होता है. इस जिले में फुटबाल का स्वर्णिम इतिहास रहा है. जब कटिहार जिला भी नहीं बना था. तब 60 के दशक में कटिहार रेलवे फुटबाल टीम पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे व बिहार में अपना परचम लहराया करता था. इतना ही नहीं कटिहार की टीम दुरंतो कप, मुहम्मद स्पोर्टिंग, मोहन बगान आदि के खिलाड़ियों के साथ खेलते थे कटिहार में काफी कई ख्यातिप्राप्त फुटबॉल खिलाड़ी आते रहे है. दूसरी तरफ वॉलीबॉल खेल पिछले कई वर्षों से यहां नहीं हुआ है. साथ ही कई परंपरागत खेल लगभग समाप्त होने के कगार पर है. दूसरी तरफ कबड्डी, टेबल टेनिस, वुशु, खो खो, क्रिकेट, बैडमिंटन, ताइक्वांडो, जैवलिन थ्रो, डिस्कस थ्रो, हैमर थ्रो, एथलेटिक्स आदि विभिन्न तरह के प्रतिस्पर्धा व खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है. यह अलग बात है कि जिले के विभिन्न खेल संघों के द्वारा समय-समय पर खेल गतिविधियों का आयोजन किया जाता है तथा उसके लिए प्रेक्टिस की व्यवस्था भी की जाती है. केस स्टडी-1 शहरी क्षेत्र का एक प्रमुख मैदान राजेंद्र स्टेडियम है. यहां कभी-कभी खेल का आयोजन होता है. मजबूरी में खिलाड़ी इस मैदान में न केवल प्रेक्टिस करते है. बल्कि कई तरह का टूर्नामेंट भी होता है. पर इस मैदान में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. शुद्ध पेयजल के साथ-साथ अन्य कई तरह की बुनियादी सुविधा उपलब्ध नहीं है. साथ ही खेल प्रतिस्पर्धा के अनुकूल मैदान नहीं है. मैदान का भी अत्यधिक उपयोग राजनीतिक व सामाजिक गतिविधियों में होता है. रखरखाव का भी घोर अभाव है. इसी तरह महेश्वरी एकेडमी का मैदान का उपयोग भी खेल गतिविधियों में होता है. पर इस मैदान का व्यवसायिक उपयोग भी होता है. महीनों भर डिज्नीलैंड व अन्य कई तरह के व्यवसायिक गतिविधियों का आयोजन होता है. जिससे खिलाड़ी को प्रैक्टिस करने में परेशानी होती है. हालांकि मुख्यमंत्री ने प्रगति यात्रा के दौरान राजेंद्र स्टेडियम को स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के रूप में विकसित करने की घोषणा की है. जिसपर काम किया जा रहा है. केस स्टडी-2 शहर के महेश्वरी अकादमी परिसर में स्थित इंडोर स्टेडियम बनाने के पीछे यही उद्देश्य था कि कटिहार में इंडोर गेम खेलने वाले खिलाड़ियों को सहूलियत मिले. साथ ही इंडोर गेम प्रतियोगिता भी हो. इस इंडोर स्टेडियम में कई तरह की बुनियादी सुविधा का अभाव है. इंडोर गेम के खिलाड़ी बताते हैं कि खेल के अनुकूल इंडोर स्टेडियम नहीं है. मजबूरी में खिलाड़ी यहां प्रैक्टिस करते है. साथ ही इंडोर गेम का आयोजन भी किया जाता है. वास्तविक में इंडोर गेम के लिए यह स्टेडियम उपयुक्त नहीं है. इसी तरह शहर के श्रम कल्याण केंद्र मैदान, डीएस कॉलेज मैदान आदि भी खेल मानक के अनुरूप नहीं है. खेल मानक के अनुरूप मैदान नहीं होने से यहां के खिलाड़ियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. केस स्टडी-3 शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के खिलाड़ियों के लिए न केवल संसाधन का अभाव है. बल्कि कोच का भी अभाव है. कोचिंग की व्यवस्था नहीं होने से खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ पाते है. यहां जितनी आबादी है. उस हिसाब से खिलाड़ी सामने नहीं आ रहे है. राज्य सरकार ने विद्यालयों में मशाल सहित कई तरह की खेल प्रतियोगिता के माध्यम से बच्चों में खेल भावना विकसित करने की प्रक्रिया शुरू की है. पर अधिकांश विद्यालयों में न तो खेल का मैदान है और न ही बच्चे को खेल के क्षेत्र में प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है. कुछ विद्यालय में शारीरिक शिक्षक के जरिये खेलकूद का प्रशिक्षण दिया जाता है. पर वह भी काफी नहीं है. कला, संस्कृति एवं युवा विभाग भी खेल कैलेंडर के जरिए कई तरह की खेल प्रतिस्पर्धा का आयोजन करती है. लेकिन खिलाड़ी को प्रशिक्षण देने की कोई व्यवस्था नहीं है.

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