आलू का दर तय नहीं, औने-पौने दाम में बेच रहे किसान, बिचौलिया मालामाल
आलू का दर तय नहीं, औने-पौने दाम में बेच रहे किसान, बिचौलिया मालामाल
– अनुदानित दर पर सभी किसानों के अनुरूप उन्नत किस्म के आलू बीज से संवरेगा तकदीर – दलन पूरब पंचायत के किसानों के लिए नहीं है एक भी कोल्डस्टोर, किसान परेशान कटिहार आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है. यह एक महत्वपूर्ण नकदी फसल के रूप में जाना जाता है. जिले में इसकी खेती किसान वृहत पैमाने पर करते हैं. केवल सदर प्रखंड के दलन पूरब पंचायत की बात करें तो एक सौ एकड़ से अधिक इसकी खेती किसान करते हैं. जिस मेहनत व पूंजी को लगाकर किसान आलू की खेती करते हैं. उस हिसाब से कृषकों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है. विभाग चाह ले तो आलू किसानों को इसकी फसल से किसानों की तकदीर संवर सकती है. आलू का कोई निर्धारित मूल्य नहीं होने की वजह से इसके दाम में उतार चढ़ाव होते रहता है. समय पर आलू की खेती करने के बाद भी किसान औने- पौने दामों में बिक्री कर लेते हैं. इसके एवज में बिचौलिया मालामाल हो जाते हैं. दलन पूरब पंचायत के आलू किसानों में अनिल सिंह, चंदन सिंह, नागेन्द्र सिंह, सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, रामनाथ सिंह, गौरीशंकर सिंह, रविशंकर चौधरी, रविन्द्र राय, अनंत सिंह, सीताराम सिंह, सत्यनारायण सिंह, शंकर भगत,अनिता देवी का कहना है कि आलू दो समय में तैयार होने वाला साठी व एक सौ बीस दिनी वाला वृहत पैमाने पर खेती करते हैं. आलू में मुख्य रूप से कई समस्याएं सामने आती है. जिसमें मुख्य रूप से अगतर झूलसा व पिछतर झूलसा है. इसके दवाओं में सब्सिडी विभाग की ओर से और सभी किसानों को अनुदानित दर पर आलू का बीज मिल जाये तो उनलोगों की समस्या कुछ हद तक दूर हो जायेगी. सबसे बड़ी समस्या इस प्रखंड में आलू कोल्ड स्टोरेज तक नहीं है. जिसके वजह से आलू स्टोर करने की समस्या काफी विकराल बनी हुई है. पूंजीपति आलू किसान अपने बल पर मनसाही व कोढ़ा में स्टोरेज जरूर करते हैं. लेकिन इसके एवज में स्टोर भाड़ा के साथ लोडिंग अनलोडिंग देना पड़ सकता है. कभी कभार स्टोर करने से पूर्व ही स्टाेरेज का मालिक पैसा ले लेता है. जिसके कारण अपने आलू को स्टोर नहीं कर औने- पौने दामों में बिक्री कर लेते हैं. संचालित स्टोरेज की क्षमता की नहीं है जानकारी आलू किसानों की माने तो जिले में छह कोल्ड स्टाेरेज है. मनसाही में पांच व कोढ़ा में एक है. सभी छह संचालित जरूर है. लेकिन विभाग को इसकी क्षमता को लेकर असंमजस है. जबकि सभी संचालित स्टोरेज की साल में एक बार रिन्यूवल किया जाता है. प्रखंड में आलू स्टोर बन जाने से उनलोगों की पौबारह हो सकती है. एक तो दूर ले जाने का झमेला कम होगा. साथ ही आलू स्टोरेज के बाद मिलने वाली मुनाफा में वृद्धि हो सकती है.किसानों की माने तो आलू की एक ही मौसम में दो तरह से खेती की जाती है. एक साठ दिन में तैयार होता है, तो दूसरा एक सौ बीस दिन में आलू तैयार कर लेते हैं. ऑनलाइन आवेदन के तहत किया गया आलू का बीज वितरण लेडीरोसेटा एक अच्छी वैराइटी है और यह लाल रंग की होती है. जिले को बीस हेक्टेयर का इसका लक्ष्य दिया गया था. पहले आओ पहले पाओ के तहत ऑनलाइन आवेदन लिये गये थे. सभी आवेदकों को अनुदानित दर पर आलू का बीज उपलब्ध कराया गया. जिले में छह जगहों पर कोल्ड स्टोरेज संचालित है. यह राज्य स्तरीय याेजना है. अगर कोई किसान कोल्ड स्टोरेज बनाना चाहते हैं तो उन्हें सरकार की ओर से तीस से पैंतीस प्रतिशत अनुदान दी जाती है. डॉ रजनी सिन्हा, जिला उद्यान पदाधिकारी, कटिहार
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