प्रवासी मजदूर का शव घर पहुंचते ही परिजनों में कोहराम
प्रवासी मजदूर का शव घर पहुंचते ही परिजनों में कोहराम
बलिया बेलौन थाना क्षेत्र के शिकारपुर वार्ड नंबर 11 के मनोवर आलम 37 वर्ष, दस माह पहले घर परिवार चलाने के लिए रोजगार की तलाश में मुम्बई गया था. मुम्बई नहुर पश्चिम औधोगिक क्षेत्र मुलुंड गोरे गांव लिंक रोड भांडुप पश्चिम में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कार्य के दौरान पांच मंजिला इमारत से गिरने से उनका असमय मौत होने की सूचना पर पत्नी नूरी बेगम पर गमों का पहाड़ टुट पड़ा. मृतक के चार छोटे-छोटे बच्चे हैं. नोसी नौ वर्ष, समद रेजा छह वर्ष, तोहफा चार वर्ष, अब्दुल रहेम एक वर्ष का है. रोते-रोते चित्कार मार कर कहने लगती, इन बच्चों का पालन पोषण कैसे होगा. सोमवार को शव गांव पहुंचते ही लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. ग्रामीणों ने बताया की पहले वह घर पर ही मजदूरी कर के घर परिवार चलाता था. कर्ज का बोझ उतारने के लिए 10 माह पहले ही मुम्बई गया था. पत्नी, बच्चों को क्या पता था कि इस तरह सब को बेसहारा छोड़ चला जायेगा. पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है. घर का एक मात्र सहारा वहीं था. घर का खर्च वहीं चलाता था. अब घर परिवार का खर्च कौन उठायेगा. पत्नी कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी. सोमवार को गांव के कब्रिस्तान में जनाजे के बाद सुपुर्द ए खाक किया किया. पंचायत प्रतिनिधियों ने शोकाकुल परिवार से मिलकर इस दुख की घड़ी में हिम्मत बढ़ाते हुए बिहार सरकार से आपदा फंड से पांच लाख की सहायता राशि देने की मांग की है. कंस्ट्रक्शन कंपनी को उचित मुआवजा देने की मांग की. मजदूरों का पलायन रोकने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है. इस पर बिहार सरकार को गंभीरता से विचार करने की मांग की है.
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