इन मांगों को लेकर हड़ताल पर थे बैंक कर्मी

11 सूत्री मांगों के समर्थन व सरकार की तीन नीतियों के विरोध में यह राष्ट्रव्यापी हड़ताल आहूत की गयी. बैंक यूनियन के नेताओं के अनुसार जन विरोधी बैकिंग सुधारों, कामगार विरोधी श्रम सुधारों, ट्रेड यूनियन के अधिकारों का उल्लंघन का प्रयास करने, नियमित व स्थायी बैंकिग कार्यों की आउटसोर्सिंग करने का विरोध किया गया है. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 1, 2017 2:11 AM

11 सूत्री मांगों के समर्थन व सरकार की तीन नीतियों के विरोध में यह राष्ट्रव्यापी हड़ताल आहूत की गयी. बैंक यूनियन के नेताओं के अनुसार जन विरोधी बैकिंग सुधारों, कामगार विरोधी श्रम सुधारों, ट्रेड यूनियन के अधिकारों का उल्लंघन का प्रयास करने, नियमित व स्थायी बैंकिग कार्यों की आउटसोर्सिंग करने का विरोध किया गया है.

साथ ही इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल के माध्यम से नोटबंदी के दौरान कर्मचारी व अधिकारियों द्वारा बैंक कार्यावधि के अलावा अतिरिक्त कार्य करने के लिए उचित भुगतान की प्रतिपूर्ति करने की मांग की गयी है. इसके अतिरिक्त ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 में ग्रेच्युटी सीमा राशि को समाप्त कर सेवा निवृत्ति पर ग्रेच्युटी व अवकाश नकदी करण की राशि को पूर्णत: आयकर से मुक्त करने सहित 11 सूत्री मांग शामिल है. इस मांग के समर्थन में यूनियन के द्वारा स्टेट बैंक के मुख्य शाखा के द्वार पर धरना प्रदर्शन भी किया गया.

कटिहार : यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर मंगलवार को एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का कटिहार में व्यापक असर पड़ा. जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के सभी बैंक शाखाओं में सवेरे से ताला लटका रहा. हड़ताल पर रहने की वजह से करीब 50 करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित हुआ है. इस हड़ताल में यूनियन से जुड़े नौ बैंक यूनियनों ने हिस्सा लिया.
बैंक बंद रहने की वजह से सरकारी व गैर सरकारी कामकाज के अलावा आम लोगों का कार्य भी प्रभावित हुआ है. बैंक हड़ताल को लेकर अधिक प्रचार-प्रसार नहीं होने से संबंधित ग्राहक अपने-अपने बैंक शाखा पहुंचे. लेकिन ताला लटका रहने की वजह से वापस लौटना पड़ा. शादी विवाह व अन्य अनुष्ठान के इस मौसम में बैंक कर्मियों के हड़ताल में रहने की वजह से काफी परेशानी हुई. बाजार पर भी इसका व्यापक असर देखने को मिला. बैंक बंद रहने से शहर में चहल पहल नहीं दिखी.
लोगों को हुई परेशानी : बैंक के एक दिवसीय हड़ताल की वजह से आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. नोटबंदी के बाद हुई परेशानी से लोग उबरने की कोशिश में जुटे थे कि बैंक के हड़ताल से और भी परेशानी बढ़ गयी. खासकर शादी ब्याह व अन्य अनुष्ठान की तैयारी में जुटे लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ी. बैंक अधिकारी व कर्मचारी के हड़ताल में रहने से कारोबार भी प्रभावित हुआ है. शहरी क्षेत्र के बाजारों में अन्य दिनों की तुलना चहल पहल कम दिखी. आर्थिक जानकारी के मुताबिक बैंक हड़ताल से करीब 50 करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित हुआ.

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