बारिश के एक सप्ताह बाद भी गांव के निकट खेतों में जलजमाव
जलनिकासी का मार्ग सुदृढ़ नहीं होने से सड़ रही धान की फसल
– जलनिकासी का मार्ग सुदृढ़ नहीं होने से सड़ रही धान की फसल – किसानों को सता रही चिंता, रबी फसल की बुआई पर भी पड़ेगा विपरीत असर दुर्गावती. जलनिकासी की व्यवस्था सुदृढ़ नहीं होने के चलते बारिश के एक सप्ताह बाद भी खेतों में जलजमाव बना हुआ है. नतीजा पानी में लेटी धान की फसल सड़ने लगी है, जिसे किसी तरह बचाने की जुगाड़ में किसान लगे हैं. जबकि, इस तरह की समस्या अधिकांश गांवों व बधारों में देखने को मिल रहा है. जिन किसानों के पास डीजल पंप अथवा मोटर पंप जैसे अपना निजी साधन हैं, वैसे किसान खेतों का पानी निकाल कर धान की फसल को बचाने में जुट गये हैं, लेकिन जिनके पास इस तरह का अपना संसाधन नहीं है और पानी की निकासी काे ले खेतों के इर्द-गिर्द कोई रास्ता भी नहीं है, वैसे किसानों के लिए रबी फसल की बुआई पर भी असर पड़ने की चिंता सताने लगी है. बताया जाता है कि गांवों के निकट जो जल निकासी के मार्ग थे. पिछले कई वर्षों से अतिक्रमण की भेंट चढ़ गये हैं. ऐसे में जल निकासी नहीं होने से कृषि कार्य में बाधा किसानों को परेशान करने के साथ उन्हें आर्थिक क्षति भी पहुंचा रही है. यह हाल इन दिनों स्थानीय प्रखंड क्षेत्र के धनिहारी, खरखोली व खामीदौरा आदि गांवों के निकट के बधारों में देखा जा रहा है. यहां पिछले एक सप्ताह पूर्व हुई बारिश के बाद अब तक गांवों के समीप बधारों में जलजमाव देखा जा रहा है, जहां तैयार हुई धान की फसल पानी में लेटी पड़ी है. कुछ लोग तैयार धान की फसल को काटकर पानी से बाहर निकाल रहे हैं, ताकि थोड़ा बहुत भी हाथ लग जाये, तो दो वक्त का भोजन तो बच जायेगा. ## क्या कहते हैं किसान — धनिहारी गांव के 70 वर्षीय किसान बिरबल यादव कहते हैं कि जल निकासी की व्यवस्था नहीं है, जिससे गांव के निकट खेतों में लगा पानी निकाला जा सके. पुराने पइन भी पट चले हैं. तैयार धान की फसल पानी में सड़ रही है. अब तो चैती फसल की बुआई भी समय से नहीं हो पायेगी, ऐसे में सबकुछ भगवान भरोसे ही है. –खरखोली के किसान बालकिशुन बिंद कहते हैं कि गांव के निकट डीह से सटे पश्चिमी बधार के जल निकासी का ठोस विकल्प अब तक नही बन सका है. हर बार धान की फसल पानी में डूब कर सड़ जाती हैं. अबकी बार तो जलजमाव से लग रहा है कि गेहू, चना मसूर जैसी रबी फसलों की बुआई भी पिछड़ जायेगी. यही हाल खामीदौरा आदि गांवों का है जहां जलनिकासी का मार्ग अतिक्रमण की चपेट में आने से हर साल गांव के निकट बधारों में जलजमाव बना रहता है.
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