Kaimur News : अब ग्रामीण सड़कों की हर हफ्ते होगी निगरानी, अभियंताओं को निरीक्षण कर अपडेट देने का निर्देश

Kaimur News : पथ निर्माण मंत्री ने अधिकारियों को दिया निर्देश, जीपीएस लगे कैमरे से खीचेंगे तस्वीर

By PANCHDEV KUMAR | March 26, 2025 9:19 PM

भभुआ सदर. जिले में ग्रामीण सड़कों के बनने के कुछ माह बाद टूट कर बिखर जाने की कहानी आम बात रहती है. अक्सर गुणवत्तापूर्ण कार्य नहीं कराये जाने से सड़कें जल्द ही गड्ढों में तब्दील हो जाती हैं. इससे लोगों की समस्या जस की तस बनी रहती है. कई मामलों में सड़क निर्माण या संवेदक के द्वारा मेंटेनेंस भी नहीं किया जाता है. इसको देखते हुए पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने इस पर सख्ती से निगरानी करने का फैसला लिया है. विभागीय अफसरों ने इंजीनियरों को सप्ताह में दो दिन निगरानी का निर्देश दिया है. यानी इंजीनियर को निर्माण कार्य शुरू होने से लेकर मेंटेनेंस की अवधि तक प्रत्येक सप्ताह दो दिन सड़कों की निगरानी करनी होगी. इतना ही नहीं, जो सड़कें पूर्व से निर्मित हैं, उनका भी इंजीनियरों के कार्यक्षेत्र के अनुसार निगरानी का जिम्मा दिया गया है.

14 दिनों पर सहायक अभियंता करेंगे निगरानी

पथ निर्माण विभाग ने निगरानी और कार्रवाई के लिए जवाबदेह पदाधिकारियों की भी जवाबदेही तय की है. अफसरों की लापरवाही व अनदेखी पर नकेल कसने के लिये पथ निर्माण विभाग ने मॉनीटरिंग की नयी व्यवस्था को पूरी तरह से आइटी आधारित कर दिया है. फील्ड में तैनात सहायक अभियंता को हर 14 दिन पर व जूनियर इंजीनियर को सप्ताह के दो दिन अपने इलाके की सड़कों की निगरानी करनी होगी. जबकि, सहायक अभियंता को यह भी देखना है कि सड़क की मरम्मत समय पर हुई या नहीं.

सड़कों की तस्वीर खींच भेजेंगे मुख्यालय स्थित मॉनीटरिंग सेल

दरअसल पूर्व में सड़क की तस्वीर मांगी जाती थी, तो इकट्ठे ढेर सारी तस्वीरें मुख्यालय के मॉनीटरिंग सेल को मिल जाती थी. लेकिन, इसमें यह तय कर पाना विभाग को मुश्किल होता था कि तस्वीर कब की ली गयी है. लेकिन, अब सड़क की मॉनीटरिंग के लिए जायेंगे, तो जीपीएस कैमरे से तस्वीर लेंगे. इसमें क्षेत्र का अक्षांश-देशांतर भी दिखाई देगा. प्रक्रिया के बाद सड़कों की तस्वीर मुख्यालय स्थित मॉनीटरिंग सेल को भेजेंगे. वहीं, तस्वीर नहीं भेजे जाने पर संबंधित इंजीनियर पर विभाग की ओर से कर्रवाई भी की जायेगी.

एक से अधिक बार खराब हुई सड़क, तो मौके पर पहुचेंगे एक्सपर्ट

अभियंताओं की ओर से भेजी जानी वाली डिजिटल रिपोर्ट में अक्षांश और देशांतर के साथ सड़क की तस्वीर आने पर यह रिकॉर्ड रहेगा कि किस जगह की सड़क खराब है. दूसरी बार जब उसकी सड़क की तस्वीर आयेगी, तो यह जाना जा सकेगा कि उक्त सड़क की मरम्मत निर्माण कंपनी ने की या नहीं. इसलिए इस सिस्टम से निर्माण कंपनी पर भी निगाह रखी जा सकेगी.

फोटोग्राफ्स में तारीख, समय और जगह की भी होगी जानकारी

दरअसल सड़कों की निगरानी राज्य में करीब आठ वर्षों से डिजिटल माध्यम से की जा रही है. इंजीनियरों को दिये गये सरकारी टैबलेट्स में पहले से ही एमएएस अपलोड होता है, ताकि इंजीनियर निर्माण कार्य के बारे में तुरंत डाटा इंट्री कर सकें. साथ ही इंजीनियरों को इनके माध्यम से निर्माण कार्य की फोटो अपलोड करते हैं. इन फोटोग्राफ्स में तारीख, वक्त और जगह की जानकारी भी होती है.

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