Kaimur News : मां मुंडेश्वरी परिसर के जीर्णोद्धार पर खर्च होंगे “6.28 करोड़ : मंत्री
वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ सुनील कुमार ने योजनाओं का किया शिलान्यास
फोटो 29, मंत्री का स्वागत करते डीएफओ चंचल प्रकाशम.
प्रतिनिधि, भभुआ
सूबे के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डा सुनील कुमार ने शनिवार को मां मुंडेश्वरी परिसर के जीर्णोद्धार की योजनाओं का शिलान्यास किया. मंत्री ने कहा कि मुंडेश्वरी मंदिर पूरे सूबे में आस्था का एक बड़ा केंद्र है. प्रतिदिन बड़ी संख्या में देश के विभिन्न भागों से श्रद्धालु पहुंचते हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं के सुविधाओं व मंदिर परिसर के विकास को लेकर सरकार ने मुंडेश्वरी परिसर का जीर्णोद्धार कराये जाने का निर्णय लिया है, ताकि भविष्य इस आस्था केंद्र का पर्यावरण को देखते हुए आधुनिक विस्तार किया जा सके और पर्यटक केंद्र के रूप में भी इसे विकसित किया जा सके.इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी चंचल प्रकाशम ने बताया कि मंत्री द्वारा मुंडेश्वरी परिसर के जीर्णोद्धार कार्य का शिलान्यास किया गया है. जिस पर सरकार छह करोड 28 लाख रुपये खर्च करेगी. परिसर के जीर्णोद्घार योजना में मां मुंडेश्वरी धाम के भव्य प्रवेश द्वार का निर्माण, मंदिर परिसर के मार्गों का सौंदर्यीकरण, श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए विश्राम स्थल, स्वच्छ पेयजल, पार्किंग की व्यवस्था, ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन की व्यवस्था, पर्वत और उसके आसपास हरियाली बढ़ाने के लिए पौधारोपण अभियान, इको टूरिज्म की योजना में ट्रैकिंग ट्रेल्स का निर्माण आदि कराया जायेगा. डीएफओ ने बताया कि सरकार का उद्देश्य पूरे मंदिर क्षेत्र को एक आदर्श धार्मिक पर्यटन स्थल और पर्यावरणीय मॉडल क्षेत्र के रूप में इसे विकसित करना है. वर्तमान में मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण, श्रद्धालुओं के लिए आवागमन की सुविधा, पेयजल, प्रकाश व्यवस्था और ठहरने की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ बनाया जा रहा है. साथ ही इको टूरिज्म को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि आने वाले पर्यटक पहाड़ी सौंदर्य का पूरा आनंद उठा सकें. गौरतलब है कि मुंडेश्वरी परिसर के जीर्णोद्धार के बाद यहां स्थानीय लोगों को जीविका का भी एक बडा अवसर मिलेगा. वर्तमान में भी कई परिवारों की रोजी रोटी मंदिर के माध्यम से ही चलती है. कार्यक्रम में भभुआ विधायक, रामगढ़ विधायक सहित अन्य मौजूद थे.
भारत का सबसे प्राचीन जीवित मंदिर है अष्टकोणीय मुंडेश्वरी मंदिरपूरे भारत में स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण वाला जिले का मुंडेश्वरी मंदिर सबसे प्राचीन जीवित मंदिरों में से एक है. जीवित मंदिर का अर्थ इसके निर्माण काल से ले अब तक इस मंदिर में पूजा अर्चन चलते आया है. यह मंदिर अपने अनूठे वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है. साथ ही अष्टकोणीय है. जबकि देश में अष्टकोणीय मंदिरों का स्थापत्य बहुत ही दुलर्भ देखा जाताा है. इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के अुनसार इस मंदिर का निर्माण ईसा के दूसरी शताब्दी यानि लगभग 2000 वर्ष पूर्व हुआ था. खास बात है कि इस मंदिर में मां खून रहित पशु बली लेती है और मंदिर में शिवा के साथ शिव भी विराजते हैं. मंदिर के चतुष्कोणीय शिवलिंग के चारों तरफ से पूजा की जा सकती है.
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