पंजराव नदी पर निर्माणाधीन पुल की ऊंचाई कम होने से किसानों में आक्रोश

परेशानी़ नदी के पानी से 11 गांवों के सैकड़ों किसानों की फसलें प्रभावित

By PANCHDEV KUMAR | August 29, 2025 11:08 PM

नुआंव़ कैमूर व बक्सर जिले को जोड़ने वाले एनएच-319 ए पर निर्माणाधीन पंजराव नदी के ऊपर बनाये जाने वाले पुल व एप्रोच सड़क की ऊंचाई कम रहने के कारण नदी के पानी के दबाव से दर्जनों गांवों में लगी सैकड़ों एकड़ धान की फसल अब तक तीन बार पानी में डूब चुकी है. नदी का जलस्तर ज्यादा नहीं होने के बावजूद भी पानी पुल की ऊपरी सतह को चूमने को बेताब दिख रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि आने वाले समय में अगर ऊपर से हुई बरसात या डैम का पानी छोड़े जाने पर निर्माणाधीन पुल के साथ एप्रोच सड़क का डूबना व टूटना तय है. ग्रामीणों ने पुल की ऊंचाई बढ़ाने को लेकर लाख कहने के बाद भी इंजीनियरों ने उनकी एक नहीं सुनी. ज्ञात हो कि पंजराव के धर्मावती नदी पर नये पुल का निर्माण किया जा रहा है. इसकी ऊंचाई नदी पर पहले से बने पुल से भी 15 फुट नीचे है. दो नदी धर्मावती व गोरिया के संगम वाले स्थल पर बनने वाले नये पुल की ऊंचाई कम होने के कारण नदी में हल्के उफान के बाद पानी पुल के ऊपरी सतह से महज कुछ फुट नीचे दिख रहा है. पानी की निकासी तेज गति से नहीं होने के कारण 11 गांव सोनवर्षा, एवती, सोतवा, पजराव, देवरिया,चंदेश, दुमदुमा, टईया, उफरौली, सीझूआ सहित कई गांव के किसानों की फसल प्रभावित हो रही है. ग्रामीणों की इस ज्वलन समस्या को लेकर न तो एनएच के अधिकारी संवेदनशील हैं, न ही जनप्रतिनिधि इस पर संज्ञान ले रहे. पंजराव के ग्रामीण शिव शंकर सिंह ने कहा पुल की ऊंचाई कम होने के कारण 11 गांव के किसानों को नुकसान हुआ है. पानी के दबाव से 300 हेक्टर धान की फसल डूबी है. निर्माण के दौरान ग्रामीणों ने इंजीनियर से मिलकर आपत्ति जतायी थी. किंतु, उसने इसी तर्ज पर बनने की बात कही थी. क्या कहते हैं किसान नदी में बाढ़ का पानी आने पर निर्माणाधीन पुल और उसकी अप्रोच सड़क टूट सकती है. नदी में पानी के दबाव से 11 गांवों के किसानों की सैकड़ों एकड़ धान की फसल अब तक तीन बार डूब चुकी है. नदी में गोरिया व धर्मावती के साथ करगर व गारा चौबे नहर का पानी भी इसी नदी के रास्ते गंगा में समाहित होता है. नये निर्माण पुल निर्माण के दौरान हम लोगों ने ऊंचाई को लेकर इंजीनियर से आपत्ति जतायी थी. किंतु उसने किसी की बात नहीं सुनी. अनमोल सिंह, किसान, पंजराव क्या कहते है पूर्व मुखिया प्रतिनिधि नये पुल से किसानों को बहुत नुकसान हुआ है. पुल की ऊंचाई कम रहने के कारण बरसात के दौरान तीन बार किसानों के धान की फसल डूब चुकी है. बनने वाली पुल के ऊपर दो पूल एवती व सोनवर्षा की ऊंचाई बनने वाले पुल से ऊपर है. जब तक इसकी ऊंचाई नहीं बढ़ाई जायेगी, तब तक न तो इसके नीचे से पानी की निकासी होगी न ही पानी का दबाव कम होगा. मकसूदन यादव, पंचायत के पूर्व मुखिया प्रतिनिधि क्या कहते हैं व्यवसायी निर्माण के दौरान मैंने ग्रामीणों के साथ इंजीनियर चटर्जी से मिलकर आपत्ति जतायी थी. इतना ही नहीं सड़क निर्माण के दौरान भूमि अधिग्रहण को लेकर गांव पहुंचे डीसीएलआर से भी पुल की ऊंचाई बढ़ाने की बात कही गयी थी. नदी में ऊपर से बरसात का पानी छोड़ा गया, तो ऊपर के गांव वालों को भारी तबाही का सामना करना पड़ेगा. प्रशासन इस पर अभी संज्ञान लेते हुए बाढ़ के दौरान होने वाली बर्बादी का समाधान करे नहीं, तो किसान बर्बाद हो जायेंगे. उप प्रमुख ऋषिकांत पांडे, पजराव नदी पुल की ऊंचाई नहीं बढ़ायी गयी, तो आने वाले समय में पूरा गांव जवनिया की तरह नदी में बह जायेगा. थोड़ी बरसात में पानी पुल की ऊपरी सतह को चूम रहा. ऊपर से पानी छोड़ा गया, तो सोनबरसा गांव नदी के आगोश में समाहित हो जायेगा. किस इंजीनियर ने इसका डिजाइन किया, यह हमलोगों के समझ से परे हैं. निर्माण के दौरान हम लोगों ने इसका विरोध किया, किंतु गरीब आदमी की बात कौन सुनता है. राम जुगल बिंद, सोनबरसा क्या कहते है व्यवसायी पुजराव के ईंट भट्ठा व्यवसायी सह किसान शिव जनम सिंह ने कहा कि नये पुल से पानी पास नहीं करें. अब तक तीन बार किसानों के धान की फसल डूब चुकी है. जब तक पुल की हाइट नहीं बढ़ेगी, तब तक इसका समाधान संभव नहीं है. एनएच के अधिकारियों को धरातल का सर्वे कर आने वाले खतरे से आज ही किसानों को निजात दिलाने की जरूरत है. क्या कहते है एनएच के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर एक माह पहले नदी पूल की कम ऊंचाई को लेकर बक्सर सांसद जी का फोन आया था. उस वक्त निर्माणाधीन पूल का फोटो मंगाकर देखा गया था. संवेदक पूल निर्माण डिजाइनिंग के अनुसार काम करते हैं. डिजाइनिंग में त्रुटि लग रही है. वरीय पदाधिकारियों को उक्त स्थल पर विजिट करवाया जायेगा. ताकि, वह वस्तु स्थित को बेहतर तरीके से समझ सकें. तुलसी प्रसाद, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, एनएचएआइ 319 ए क्या कहते है सांसद एक माह पहले नदी में आयी पहली उफान के बाद ही पानी पुल की सतह से सट गया था. इसको लेकर मैंने विभाग के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर को फोन करके पूल की ऊंचाई कम होने व इसकी जांच के लिए बोला था. एक बार फिर पुल निर्माण के वरीय पदाधिकारियों को पत्र लिखकर निर्माणाधीन पुल की जांच के साथ इसकी ऊंचाई को बढ़ाने के लिये पत्र भेजा जायेगा. इससे किसानों की फसल डूबने व दो जिलों का आगामी समय में आवागमन प्रभावित न हो सके. सुधाकर सिंह, बक्सर सांसद

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