Kaimur News : दुर्गावती में केदारनाथ मंदिर के तर्ज पर बन रहा पूजा पंडाल

10 कारीगर जुटे, 26 सितम्बर तक पंडाल तैयार होगा

By PANCHDEV KUMAR | September 18, 2025 10:50 PM

दुर्गावती. प्रखंड क्षेत्र में दुर्गापूजा को लेकर इस बार एक से बढ़कर एक पूजा पंडालों का निर्माण कराया जा रहा है. इसी कड़ी में दुर्गावती बाजार में बन रहा भव्य पंडाल इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. पंडाल निर्माण का अंतिम चरण जारी है, जिसमें भारतीय सभ्यता और संस्कृति की झलक भी देखने को मिलेगी. आयोजक समिति के अनुसार पंडाल का निर्माण केदारनाथ मंदिर के तर्ज पर कराया जा रहा है. चारों ओर दुधिया रोशनी और झालरों से सजा यह पंडाल जगमगायेगा. झारखंड के गिरिडीह से आए कारीगर बिनोद की टीम में शामिल बबलु यादव, संतोष यादव समेत 10 कारीगर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. कारीगर विनोद ने बताया कि 26 सितंबर तक पंडाल का निर्माण पूरा कर लिया जायेगा. बनायी जा रही मूर्तियां पंडाल में स्थापित की जाने वाली मूर्तियों को तैयार करने का कार्य भी अंतिम चरण में है. उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के सकलडीहा बाजार निवासी मूर्तिकार राम अवतार प्रजापति ने बताया कि वह 2009 से लगातार दुर्गावती में दुर्गापूजा के अवसर पर मूर्तियां बनाने आ रहे हैं. इस बार भी वे अपने भांजे नितीश प्रजापति और अन्य सहयोगियों के साथ महिषासुरमर्दिनी मां दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती और कार्तिकेय की मूर्तियां बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि षष्ठी तिथि तक मूर्तियों का निर्माण पूरा कर लिया जायेगा, जिसके बाद उन्हें पंडाल में स्थापित किया जायेगा. समिति की तैयारी पूजा समिति के अध्यक्ष नीरज कुमार, उपाध्यक्ष दीपक कुमार, कोषाध्यक्ष विकास कुमार समेत अन्य सदस्यों ने बताया कि पंडाल निर्माण पर करीब पांच लाख रुपये की लागत आने की संभावना है. यह पूजा कई वर्षों से आपसी सद्भावना और सहयोग के तहत शांति पूर्ण माहौल में आयोजित की जाती रही है. दुर्गावती बाजार स्थित दुर्गा मंदिर के पुजारी संजय मिश्र ने बताया कि महावीर पंचांग (काशी) के अनुसार 22 सितम्बर (सोमवार) से नवरात्र और पूजा-पाठ शुरू होगा. इसी दिन सुबह कलश स्थापना होगी. 29 सितम्बर (रविवार) को सप्तमी तिथि पर पंडाल में माता का पट 12:26 बजे से पहले शुभ मुहूर्त में खोला जायेगा. एक अक्त्तूबर (मंगलवार) को नवमी तिथि होगी और 2 अक्टूबर (बुधवार) को दशहरा पर्व मनाया जायेगा. इस बार मां दुर्गा का आगमन हाथी से और प्रस्थान डोली से होगा, जिसे शुभ माना जाता है.

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