आषाढ़ी काली पूजा को लेकर चूरहेत मंदिर सज-धज कर तैयार
प्रखंड क्षेत्र में हर वर्ष होने वाले आषाढ़ी काली पूजा को लेकर विभिन्न गांवों में तैयारी शरू हो गयी है.
सोनो. प्रखंड क्षेत्र में हर वर्ष होने वाले आषाढ़ी काली पूजा को लेकर विभिन्न गांवों में तैयारी शरू हो गयी है. चुरहेत स्थित मां काली मंदिर में भी मंगलवार को होने वाले इस आषाढ़ी काली पूजा को लेकर सारी तैयारी पूरी कर ली गयी है. मंदिर में रंग-रोगन का कार्य समाप्त हो गया है. मंदिर सज धज कर तैयार है. क्षेत्रीय किसानों के आस्था से जुड़े आषाढ़ी काली पूजा के बाद ही किसान खेतों में धान की रोपनी शुरू करते हैं. इस इलाके में मां काली के लिए बलि पूजा करने की प्रथा सदियों से चली आ रही है. चुरहेत निवासी शिक्षक कामदेव सिंह बताते हैं कि इस गांव में भी लंबे समय से से काली पूजा का आयोजन बड़े धूमधाम और भक्ति भाव से किया जा रहा है. इस पूजा का सीधा संबंध कृषि से जुड़ा है. परंपरा के अनुसार इस पूजा के पहले गांव का कोई भी किसान धान की रोपनी नहीं कर सकता है. उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष पूरे विधि विधान के साथ अच्छी पैदावार व महामारी से बचाव के लिए वार्षिक काली पूजा का आयोजन किया जाता है. पूजा के एक दिन पूर्व से ही पुरोहित मुख्य यजमान व उनके सहयोगी नेम निष्ठा के साथ व्रत धारण करते हैं. यह वार्षिक पूजा आषाढ़ महीनें के मंगलवार या शनिवार को मनाया जाता है. परंपरा है कि पूजा के बाद गांव में शादी विवाह बंद हो जाता है. वहीं लोगों का विश्वास है कि पूजा के बाद मां काली के आशीर्वाद से न सिर्फ पैदावार सही होगा बल्कि खुशहाली के रास्ते भी खुलेंगे और पूरा गांव खुशहाल होगा. उन्होंने बताया कि चूरहेत मां काली मंदिर में मुख्य यजमान की भूमिका में मिथिलेश सिंह का परिवार होता है जबकि पुरोहित के रूप में नरेश पांडे के परिवार और मां काली के सेवक के रूप में यमुना पांडेय के परिवार को जिम्मेदारी मिली हुई है. पूजा की तैयारी में उत्साही नवयुवकों के साथ साथ बुजुर्गों का भी सहयोग मिलता है.
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